हाईकोर्ट की युगल पीठ में सरकारी जमीनों को खुर्दबुर्द किए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका में राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने अपना शपथ पत्र पेश कर दिया, लेकिन शपथ पत्र में सरकारी जमीनों को बचाने के लिए उठाए गए कारगर कदम नहीं बताए। इस कारण हाईकोर्ट शपथ पत्र में बताई व्यवस्था से सहमत नहीं हुआ। इसके चलते प्रमुख सचिव को 6 अगस्त को व्यक्ति रूप से तलब किया है।
दरअसल दीपक कुमार ने हाईकोर्ट में सरकारी जमीन को खुर्दबुर्द किए जाने को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि ग्राम मुरार के सर्वे क्रमांक 703, 705, 706, 707, 708 कुल 4 बीघा 1 बिस्वा जमीन सरकारी है। रामचरण, गीता, पूरन आदि ने रिकॉर्ड में हेराफेरी कर अपने हित में नामांतरण करा लिया है। सरकारी जमीन को हड़पा है। इसकी सीबीआई जांच की जाए। कोर्ट ने इस परिस्थिति पर 9 अप्रेल 2025 को टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकारी जमीनों को बचाने में सरकार का प्रदर्शन चिंताजनक क्यों है। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश दिया था कि जमीनों को बचाने के लिए क्या उपाय किए हैं। इसकी जानकारी शपथ पत्र पर प्रस्तुत करें। चार महीने बाद भी राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। शपथ पत्र पर उनका जवाब नहीं आया। इसको लेकर कोर्ट ने कहा कि जनहित के इस मामले की तत्कालिकता को समझें। जवाब पेश करें।
सोमवार को प्रमुख सचिव ने अपना शपथ पत्र पेश कर सरकारी जमीनों को सुरक्षित करने के लिए कटिबद्ध बताया। प्रमुख सचिव ने कहा कि यदि कोई अधिकारी सरकार के हित खिलाफ काम करेगा तो उसे दंडित किया जाएगा। सभी सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा की जानी चाहिए। प्रत्येक कलेक्टर कार्यालय में एक न्यायिक मामलों की शाखा होती है। शाखा सिविल न्यायालय, जिला एवं सत्र न्यायालय, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में विचारार्थ लंबित मामलों की फाइल उचित रूप से रखरखाव करती है। भविष्य में सरकार प्रत्येक सरकारी भूमि की सुरक्षा के लिए अधिक सतर्कता से काम करेगी और यदि कोई भी अधिकारी सरकार के हित के खिलाफ काम करने में किसी भी तरह से शामिल पाया जाता है तो उसे कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा।
- जिला न्यायालय में जमीन को लेकर दावा पेश किया गया। इसमें वादी व प्रतिवादियों के बीच विवाद चला। सिविल जज के यहां चले दावे में शासन को भी पार्टी बनाया गया, लेकिन शासन का कोई भी प्रतिनिधि न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ। इसके चलते शासन को एक पक्षीय कर दिया। वादी प्रतिवादी के बीच फैसला किया। इस तरह से सरकारी जमीन शासन हार गई।
Published on:
29 Jul 2025 11:16 am