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जुलाई में अटूट वर्षा, 25 दिन में 798 मिमी बारिश का बना रिकॉर्ड, अब 100 साल तक टूटना मुश्किल, अगस्त में भी खूब बरसेंगा बादल

जुलाई के 31 में 25 दिन शहर में झमाझम बारिश हुई। 90 साल बाद शहर ने जुलाई में एसी बारिश देखी।1935 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए बारिश ने 798.4 (31.89 इंच) मिली मीटर (मिमी) नया रिकॉर्ड बना दिया।

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जुलाई के 31 में 25 दिन शहर में झमाझम बारिश हुई। 90 साल बाद शहर ने जुलाई में एसी बारिश देखी।1935 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए बारिश ने 798.4 (31.89 इंच) मिली मीटर (मिमी) नया रिकॉर्ड बना दिया। जुलाई 2025 का रिकॉर्ड अब 100 साल में भी टूटने वाला नहीं है। क्योंकि 623 मिलीमीटर का रिकॉर्ड टूटने में 90 साल लग गए। अब अगस्त शुरू हो रहा है। ग्वालियर सहित अंचल में अगस्त में भारी बारिश होती है। मौसम विभाग ने गुरुवार को अगस्त की बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है, उसके अनुसार बादल औसत से ज्यादा बरसेंगे। अगस्त में औसत बारिरश 106 फीसदी तक दर्ज हो सकता है।

दरअसल 17 जून को शहर में मानसून ने दस्तक दी थी। मानसून को सक्रिय हुए 44 दिन हो गए हैं। 44 दिनों में कुल औसत बारिश 1050 मिली मीटर बारिश हुई है। इसमें 250 मिलीमीटर बारिश जून में हुई। 798.4 मिलीमीटर बारिश जुलाई में है। यदि जुलाई की स्थिति देखी जाए तो 6 दिन ही बादल छुट्टी पर गए हैं। 25 दिन शहर झमाझम बारिश की है। बादलों ने लंबा ब्रेक नहीं लिया है। प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो ग्वालियर चंबल संभाग में ज्यादा बादल बरसे हैं।

अगस्त में आएंगे दो से तीन सिस्टम

- अगस्त में बंगाल की खाड़ी से दो से तीन सिस्टम आते हैं। इन सिस्टम से भारी बारिश की संभावना रहती है। मौसम विभाग ने ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलो में औसत से अधिक बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। 106 फीसदी तक पानी बरसता है तो 350 मिली मीटर से ज्यादा बारिश अगस्त में हो जाएगी।

- बादल छाने से दिन व रात का तापमान सामान्य रह सकता है। अगस्त में गर्मी भी कम पड़ेगी। बादल छाने से धूप कम निकलेगी।https://www.patrika.com/national-news/imd-alert-for-heavy-rain-for-august-1-2-3-4-5-6-and-7-for-several-states-19827087

हवा ने साथ दिया, इसलिए सभी सभी सिस्टम ग्वालियर होते हुए गुजरे

- कम दबाव के क्षेत्र हवा के साथ चलते हैं, लेकिन इस हवा ने ग्वालियर का साथ दिया। जितने भी सिस्टम आए, उन्होंने अपना परंपरागत मार्ग को छोड़ दिया। नए रास्ते से ग्वालियर पहुंचे। इस कारण भारी बारिश हुई।

- वैसे बंगाल की खाड़ी से आने वाले कम दबाव के क्षेत्र रायपुर, जबलपुर, भोपाल, मंदसौर, जोधपुर होते हुए आगे बढ़ जाते थे। इन रास्ते जाने वाले सिस्टम के ग्वालियर उत्तर में आ जाता था। इससे कम बारिश होती थी। बारिश के लिए तरसते थे।

-जुलाई में चार सिस्टम आए। यह सिस्टम बिलासपुर, रीवा होते हुए ग्वालियर आए। 25 जुलाई का सिस्टम भोपाल वाले मार्ग से होते हुए बढ़ रहा था, लेकिन भोपाल पहुंचने से पहले ही उसने अपना रास्त बदल लिया। ग्वालियर ग्वालियर के लिए मुड़ गया। इसकी गति धीमी होने की वजह से 29 जुलाई तक बारिश दर्ज हुई। शिवपुरी, श्योपुर में ज्यादा रहा। ग्वालियर में असर मध्यम रहा।

जुलाई में अटूट वर्षा, 25 दिन में 798 मिमी बारिश का बना रिकॉर्ड, अब 100 साल तक टूटना मुश्किल, अगस्त में भी खूब बरसेंगा बादल

  • 623 मिली मीटर का रिकॉर्ड 90 साल बाद टूटा है
  • मौसम विभाग ने अगस्त की बारिश का किया पूर्वानुमान जारी, 106 फीसदी तक बरसेंगे बादलग्वालियर। जुलाई के 31 में 25 दिन शहर में झमाझम बारिश हुई। 90 साल बाद शहर ने जुलाई में एसी बारिश देखी।1935 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए बारिश ने 798.4 (31.89 इंच) मिली मीटर (मिमी) नया रिकॉर्ड बना दिया। जुलाई 2025 का रिकॉर्ड अब 100 साल में भी टूटने वाला नहीं है। क्योंकि 623 मिलीमीटर का रिकॉर्ड टूटने में 90 साल लग गए। अब अगस्त शुरू हो रहा है। ग्वालियर सहित अंचल में अगस्त में भारी बारिश होती है। मौसम विभाग ने गुरुवार को अगस्त की बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है, उसके अनुसार बादल औसत से ज्यादा बरसेंगे। अगस्त में औसत बारिरश 106 फीसदी तक दर्ज हो सकता है।दरअसल 17 जून को शहर में मानसून ने दस्तक दी थी। मानसून को सक्रिय हुए 44 दिन हो गए हैं। 44 दिनों में कुल औसत बारिश 1050 मिली मीटर बारिश हुई है। इसमें 250 मिलीमीटर बारिश जून में हुई। 798.4 मिलीमीटर बारिश जुलाई में है। यदि जुलाई की स्थिति देखी जाए तो 6 दिन ही बादल छुट्टी पर गए हैं। 25 दिन शहर झमाझम बारिश की है। बादलों ने लंबा ब्रेक नहीं लिया है। प्रदेश की स्थिति देखी जाए तो ग्वालियर चंबल संभाग में ज्यादा बादल बरसे हैं।
  • अगस्त में आएंगे दो से तीन सिस्टम
  • अगस्त में बंगाल की खाड़ी से दो से तीन सिस्टम आते हैं। इन सिस्टम से भारी बारिश की संभावना रहती है। मौसम विभाग ने ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलो में औसत से अधिक बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। 106 फीसदी तक पानी बरसता है तो 350 मिली मीटर से ज्यादा बारिश अगस्त में हो जाएगी।
  • बादल छाने से दिन व रात का तापमान सामान्य रह सकता है। अगस्त में गर्मी भी कम पड़ेगी। बादल छाने से धूप कम निकलेगी।हवा ने साथ दिया, इसलिए सभी सभी सिस्टम ग्वालियर होते हुए गुजरे
  • कम दबाव के क्षेत्र हवा के साथ चलते हैं, लेकिन इस हवा ने ग्वालियर का साथ दिया। जितने भी सिस्टम आए, उन्होंने अपना परंपरागत मार्ग को छोड़ दिया। नए रास्ते से ग्वालियर पहुंचे। इस कारण भारी बारिश हुई।
  • वैसे बंगाल की खाड़ी से आने वाले कम दबाव के क्षेत्र रायपुर, जबलपुर, भोपाल, मंदसौर, जोधपुर होते हुए आगे बढ़ जाते थे। इन रास्ते जाने वाले सिस्टम के ग्वालियर उत्तर में आ जाता था। इससे कम बारिश होती थी। बारिश के लिए तरसते थे।-जुलाई में चार सिस्टम आए। यह सिस्टम बिलासपुर, रीवा होते हुए ग्वालियर आए। 25 जुलाई का सिस्टम भोपाल वाले मार्ग से होते हुए बढ़ रहा था, लेकिन भोपाल पहुंचने से पहले ही उसने अपना रास्त बदल लिया। ग्वालियर ग्वालियर के लिए मुड़ गया। इसकी गति धीमी होने की वजह से 29 जुलाई तक बारिश दर्ज हुई। शिवपुरी, श्योपुर में ज्यादा रहा। ग्वालियर में असर मध्यम रहा।अगस्त के रिकॉर्ड पर नजर
  • अगस्त की औसत बारिश 241 मिमी
  • अगस्त 1916 में पूरे महीने में सर्वाधिक बारिश 712 मिली मीटर हुई थी।
  • अगस्त में 24 घंटे की बारिश का रिकॉर्ड 1927 का है। 10 अगस्त 1927 को 219.7 मिमी पानी बरसा था।

एक्सपर्ट व्यू

  • कम दबाव के क्षेत्र हवा के साथ चलते हैं। इस बार हवा का रुख ग्वालियर की ओर रहा। इस कारण सभी सिस्टम ग्वालियर होते हुए गुजरे। इस कारण ज्यादा बारिश हुई। जुलार्ई में 798 मिली मीटर बारिश एक रिकॉर्ड है।डीपी दुबे, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिकएक्सपर्ट व्यू
  • कम दबाव के क्षेत्र हवा के साथ चलते हैं। इस बार हवा का रुख ग्वालियर की ओर रहा। इस कारण सभी सिस्टम ग्वालियर होते हुए गुजरे। इस कारण ज्यादा बारिश हुई। जुलार्ई में 798 मिली मीटर बारिश एक रिकॉर्ड है।डीपी दुबे, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक