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Big News: कलेक्ट्रेट के पास कचरे में मिले सैकड़ों आयुष्मान कार्ड, लोग बोले- हमें नहीं पता हमारा कार्ड बना गया

half burned ayushman cards: कलेक्ट्रेट के सामने में कचरे के ढेर से 800 से ज्यादा आयुष्मान कार्ड मिले। कई अधजले भी थे। लोगों ने कहा कि कार्ड बन गए, पर हमें कभी मिले ही नहीं। अब जांच के आदेश।

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गुना

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Akash Dewani

Oct 17, 2025

guna Collectorate garbage half burned ayushman cards mp news

guna Collectorate garbage half burned ayushman cards (फोटो- Patrika.com)

half burned ayushman cards: सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज कराने के लिए बनाए जा रहे आयुष्मान कार्ड बेहद खास दस्तावेज होता है, लेकिन गुना शहर में कलेक्टोरेट के सामने कचरे के ढेर में बड़ी संख्या में आयुष्मान कार्ड पड़े मिलने से इनके उपयोग को लेकर सवाल खड़े हो गए है। पत्रिका ने मौके पर पहुंचकर देखा तो लग रहा था कि कचरे में फेंकने के बाद आयुष्मान कार्ड को जलाने का भी प्रयास किया गया है। कुछ आयुष्मान कार्ड अधजले भी मिले। (mp news)

पत्रिका ने की पड़ताल

पत्रिका टीम ने उन लोगों के घर जाकर पड़ताल की, जिनके नाम के आयुष्मान कार्ड कचरे में मिले, तो पता चला कि उन लोगों ने एक साल पहले नगरपालिका में आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए अपने दस्तावेज तो जमा किए थे, लेकिन उन्हें अब तक ये कार्ड नहीं मिले। इससे यह भी सवाल खड़ा होता है कि जब लोगों के आयुष्मान कार्ड बन गए थे, तो उन्हें दिए क्यों नहीं गए? कुल मिलाकर पूरा मामला अब सवालों के घेरे में है।

पत्रिका से बोले लोगः हमें पता ही नहीं चला, हमारा आयुष्मान कार्ड कब बन गया

पत्रिका टीम ने कचरे में मिले कुछ कार्ड उठाए और उन पर लिखे नाम और पते के आधार पर खोजबीन की। इनमें एक कार्ड सिसौदिया कॉलोनी में रहने वाले प्रदीप चक्रवर्ती का था। पत्रिका ने उनकी तलाश की तो उन्होंने बताया कि मेरी सिसौदिया कॉलोनी में गिफ्ट सेंटर के नाम से दुकान है।

गुना नगरपालिका में एक-सवा साल पहले आयुष्मान कार्ड बन रहे थे। मैंने नगरपालिका में जाकर अपने दस्तावेज आयुष्मान कार्ड के लिए दिए थे। इसके बाद लगातार नगरपालिका में जाकर चक्कर लगाता रहा, लेकिन मुझे आज तक अपना आयुष्मान कार्ड नहीं मिला। न ही मुझे कभी नगरपालिका से बताया गया कि आपका आयुष्मान कार्ड बन गया है, आप ले जाएं। उनसे जब पत्रिका ने पूछा क्या आपको कोई बीमारी थी, उन्होंने कहा कि मैंने सुरक्षा बतौर बनवा लिया था।

इसी तरह अंजना बैरागी, जुगल किशोर, सतेंद्र सिंह, पंचम लाल, रामसखी बंजारा, निखिल अहिरवार,मदन लाल अहिरवार, संजना जैसे दो दर्जन से अधिक लोगों की तलाश की तो ये लोग गुना नगरीय क्षेत्र के निकले। इनमें से कई से चर्चा की तो उन्होंने एक ही बात कही कि हमने तो समग्र आईडी के लिए नगरपालिका में आठ-दस माह पूर्व दस्तावेज दिए थे। जब उनसे पूछा कि उन्हें आयुष्मान कार्ड मिला नहीं। तो उन्होंने कहा कि हमें मालूम ही नहीं हैं कि हमारा आयुष्मान कार्ड कब बन गया।

कलेक्टर बोले- गंभीर मामला, जांच कराएंगे

पत्रिका ने इस बारे में कलेक्टर किशोर कन्याल से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। आयुष्मान कार्ड यदि बने हैं, तो उनका वितरण क्यों नहीं हुआ, और कचरे में क्यों फेंक दिए. हम इसकी जांच कराएंगे और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या है आयुष्मान योजना

केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के तहत आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाता है। इस योजना के तहत पात्र व्यक्ति को पांच लाख रुपए तक का किसी निजी अस्पताल इलाज कराने की सुविधा उपलब्ध रहती है। केंद्र और राज्य सरकार की इस योजना के तहत गुना जिले के चार-पांच निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। जहां कोई भी जाकर इस योजना के तहत अपना इलाज करा सकता है। आयुष्मान योजना के तहत इसका लाभ उसी व्यक्ति को दिया जाता है जो बीपीएल योजना के अंतर्गत पंजीबद्ध हो. या 75 साल से अधिक उम्र हो।

आधार केंद्र के पास मिले आयुष्मान कार्ड

पत्रिका टीम गुरुवार सुबह कलेक्टोरेट के सामने पहुंची तो उसे बड़ी संख्या में ये आयुष्मान कार्ड मिले। यह आयुष्मान कार्ड कलेक्ट्रोरेट के सामने ही स्थित आधार कार्ड केंद्र की दीवार से सटे हुए कचरे के ढेर में पड़े थे। जब पत्रिका टीम ने इन आयुष्मान कार्ड को उठाकर देखा तो कई जले तो कई अधजले डले हुए थे। इनकी संख्या 800 से ज्यादा है। इतनी बड़ी संख्या में आयुष्मान कार्ड को जलाने की मंशा भी संदेहों को जन्म दे रही है।