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गोरखपुर में इस्कॉन का भव्य जन्माष्टमी महोत्सव, भक्ति, संगीत और संस्कृति का अद्भुत संगम

कृष्ण जन्माष्टमी महापर्व पर आज इस्कॉन केंद्र गोरखपुर में कृष्ण की लीलाओं का भव्य आयोजन हुआ। कृष्ण जन्मोत्सव के समय हजारों भक्तों की भीड़ उनकी लीलाओं का सजीव अनुभव कर रही थी।

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फोटो सोर्स: पत्रिका, इस्कॉन केंद्र में कृष्ण जन्मोत्सव का भव्य महोत्सव

भगवान श्रीकृष्ण के प्रकटोत्सव जन्माष्टमी का पर्व इस वर्ष गोरखपुरवासियों के लिए अविस्मरणीय बन गया। इस्कॉन गोरखपुर द्वारा आयोजित जन्माष्टमी महोत्सव ने नगरवासियों को भक्ति, संगीत और संस्कृति के एक अद्भुत संगम का अनुभव कराया।

कार्यक्रम का आयोजन शनिवार, 16 अगस्त को ओपन स्काई रिज़ॉर्ट (पिपराइच रोड, निकट पदरी बाज़ार) में किया गया, जहाँ हजारों की संख्या में भक्तगण एकत्रित हुए और शाम 4 बजे से देर रात तक यह उत्सव निरंतर चलता रहा।

हरिनाम संकीर्तन और मधुर भजनों से आरंभ हुआ उत्सव

कार्यक्रम की शुरुआत भक्ति-उल्लासपूर्ण हरिनाम संकीर्तन से हुई। मृदंग, करताल और झांझ की ध्वनि से जब पूरा वातावरण गूंज उठा तो उपस्थित श्रद्धालु अपने आप को रोक न पाए और कीर्तन में लीन हो गए। इसके बाद भक्तगणों द्वारा गाए गए मधुर भजनों ने श्रोताओं के हृदय को भक्ति-रस से भर दिया। हर भजन में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और उनके करुणामय स्वरूप का वर्णन किया गया, जिससे सभी भक्त भावविभोर हो उठे।

श्रीकृष्ण की हर लीलाओं का सजीव वर्णन

भक्ति-गीतों के बाद प्रवचन का क्रम आरंभ हुआ। मुख्य वक्ता श्रीमान आदिश्याम दास जी, अध्यक्ष इस्कॉन मंदिर गोरखपुर ने श्रीमद्भागवत के आधार पर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का ऐसा वर्णन किया मानो वे लीलाएँ यहीं घट रही हों। गोकुल की गलियों से लेकर वृंदावन के रास-लीला तक और कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र से लेकर गीता उपदेश तक–हर कथा ने श्रोताओं के हृदय को छू लिया। श्रीमान आदिश्याम जी ने बताया कि किस प्रकार श्रीकृष्ण का जीवन केवल एक कथा नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक है।

श्रीविग्रहों का दिव्य अभिषेक

कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण रहा श्री श्री राधा माधव के श्रीविग्रहों का अद्भुतअभिषेक। रजत कलशों से पवित्र जल, दूध, दही, घी, मधु और फलों के रसों से भगवान का अभिषेक किया गया। इस दिव्य दृश्य को देखकर सभी भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। जैसे ही अभिषेक आरंभ हुआ, भक्तगण “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे” का संकीर्तन करते हुए झूमने लगे। इस अनोखे वातावरण में भक्ति का सागर उमड़ पड़ा और भक्तों ने स्वयं को भगवान की सेवा में अर्पित कर दिया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन

इस बार का महोत्सव और भी विशेष इसलिए रहा क्योंकि इसमें देश-विदेश से आए भक्तों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर प्रस्तुत की गई विभिन्न नृत्य-नाटिकाएँ, भक्ति-गीत और भावनाओं से भरी नृत्य-नृत्यांजलियाँ देखकर उपस्थित लोग तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजते रहे।

कृष्ण-भक्ति वैश्विक उत्सव है

भारत के कोने कोने से और नेपाल से आए भक्तों ने अपनी कला के माध्यम से कृष्ण-भक्ति का ऐसा संदेश दिया जिसने सभी को यह अनुभूति कराई कि भक्ति की भाषा केवल हृदय की होती है। संस्कृत श्लोकों से लेकर हिंदी भजनों और अंग्रेज़ी भक्ति गीतों तक – हर प्रस्तुति ने यह सिद्ध किया कि कृष्ण-भक्ति सीमाओं से परे एक वैश्विक उत्सव है।

दूर दराज से भी भक्तों को आई भीड़

महोत्सव में गोरखपुर शहर ही नहीं, आस-पास के जिलों से भी भारी संख्या में भक्तगण पहुँचे। श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर यह स्पष्ट था कि जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए आध्यात्मिकता और संस्कृति का उत्सव है। महिलाओं, बच्चों, युवाओं और बुज़ुर्गों – सभी ने एक साथ इस महोत्सव का आनंद लिया।

कृष्ण-प्रेम से सजे महोत्सव ने अमिट छाप छोड़ी

रात्रि के अंतिम क्षणों तक हर भक्त के चेहरे पर आनंद और संतोष झलक रहा था। किसी ने इसे जीवन का सबसे अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव बताया तो किसी ने कहा कि उन्होंने ऐसा उत्सव पहले कभी नहीं देखा। भक्ति-रस, संगीत, संस्कृति, भगवान के दिव्य महाप्रसाद और कृष्ण-प्रेम से सजे इस महोत्सव ने गोरखपुरवासियों के हृदय पर अमिट छाप छोड़ी है।