नई दिल्ली। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बैंकों को विलय करने में सरकार का असली एजेंडा बड़े कॉरपोरेटों की मदद करना है। उनका कहना है किइससे फंसे हुए बड़े ऋणों की वसूली में कोई फायदा नहीं होगा।
सावर्जनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के विलय का विरोध करते हुए एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने यहां जारी एक बयान में कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों के नाम पर सरकार कॉरपोरेट्स की मदद कर रही है।
विलय के बाद बैंकों के कर्ज पर पड़ेगा असर
वेंकटचलम ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एक लाख पचास हजार करोड़ रुपये का सकल लाभ (ग्रोस प्रोफिट) कमाया। उन्होंने कहा कि ऋणों के कारण बैंकों को लगभग 66 हजार करोड़ रुपये का कुल घाटा हुआ। उनके अनुसार, बैंकों के विलय से फंसे हुए ऋण की वसूली नहीं होगी और भारतीय स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों के विलय से इस तरह के ऋण में वृद्धि हुई है।
बैंकों की निगरानी पर पड़ेगा असर
नीरव मोदी द्वारा की गई धोखाधड़ी का पता लगाने में विफल रहे पंजाब नेशनल बैंक की ओर इशारा करते हुए वेंकटचलम ने कहा कि जब बैंक और अधिक बड़े हो जाएंगे तो वे प्रभावी तरीके से निगरानी कैसे कर पाएंगे? सरकार ने शुक्रवार को आर्थिक चिंताओं को दूर करने के लिए 10 राज्य संचालित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को चार बड़े बैंकों में विलय करने की एक बड़ी योजना की घोषणा की थी।
Updated on:
01 Sept 2019 05:18 pm
Published on:
01 Sept 2019 01:59 pm