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Raksha Bandhan 2025: महिलाएं भाई के अलावा और किसको बांध सकती हैं राखी, ज्योतिष ने बताए रक्षा बंधन के नियम

Raksha Bandhan 2025:रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन तक सीमित नहीं है, इसका दायरा बहुत बड़ा है। इस दिन हम उन सभी को राखी बांध सकते हैं जो हमारी रक्षा करते हैं या जिनसे हमारा जीवन जुड़ा हुआ है।

भारत

Dimple Yadav

Aug 04, 2025

Raksha Bandhan
Raksha Bandhan (photo- grok ai)

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा का त्योहार है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र की दुआ करती है। बदले में भाई बहन की रक्षा करने का वादा करता है और उसे कुछ उपहार भी देता है। लेकिन रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन तक सीमित नहीं है, इसका दायरा बहुत बड़ा है। तो आइए जानते हैं कि महिलाएं रक्षाबंधन के दिन भाई के अलावा किसको राखी बांध सकती है।

सबसे पहली राखी भगवान को बांधें

रक्षाबंधन की शुरुआत भगवान को राखी बांधकर करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भगवान ही हमारे सच्चे रक्षक हैं। कई लोग श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डूगोपाल को, शिवजी को या श्रीराम को राखी बांधते हैं। ऐसा करने से हम भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा जताते हैं और उनसे सुरक्षा की कामना करते हैं।

अपने गुरु और शिक्षक को राखी बांधें

गुरु हमें जीवन में सही रास्ता दिखाते हैं। वे अच्छे-बुरे की समझ देते हैं और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। इसलिए रक्षाबंधन पर गुरु या शिक्षक को राखी बांधना एक आदर्श परंपरा है। इससे उन्हें सम्मान भी मिलता है और हमारा रिश्ता भी मजबूत होता है।

सैनिकों को राखी बांधें

सैनिक हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं। वो अपने परिवार से दूर रहकर हमारी सुरक्षा में लगे रहते हैं। ऐसे में अगर महिलाएं उन्हें राखी बांधें या पत्र भेजें, तो उन्हें बहुत खुशी मिलती है। इससे उन्हें भी महसूस होता है कि देश की बहनें उनका ध्यान रख रही हैं।

पेड़-पौधों को भी राखी बांधें

पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं, जो जीवन के लिए सबसे जरूरी है। वैज्ञानिकों ने भी माना है कि पेड़-पौधे संवेदनशील होते हैं। इसलिए रक्षाबंधन पर पेड़ों को राखी बांधकर उनका आभार जताना चाहिए।

जिनके पास बहन नहीं

अगर किसी लड़के की कोई बहन नहीं है तो वह अकेलापन महसूस करता है। ऐसे किसी रिश्तेदार या दोस्त को बहन मानकर राखी बांधवाना, एक बहुत ही अच्छा और भावनात्मक काम है।

यजमान को राखी बांधना भी एक पुरानी परंपरा

पुरोहित और यजमान (जो पूजा करवाता है) का रिश्ता बहुत गहरा होता है। पुराने समय में रक्षाबंधन पर पंडित अपने यजमान को राखी बांधते थे और उनके कल्याण की कामना करते थे। यह परंपरा आज भी जिंदा रहनी चाहिए।