Nursing Home Negligence: फतेहपुर जिले के किशनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत एक छह साल की मासूम बच्ची की संदिग्ध स्थिति में मौत से पूरे इलाके में कोहराम मच गया। परिजनों ने नर्सिंग होम के संचालक पर लापरवाही और झोलाछाप चिकित्सक पर आरोप लगाते हुए कठोर कार्रवाई की मांग की है। बच्ची को मामूली बुखार में नर्सिंग होम ले जाया गया था, लेकिन वहां इलाज के दौरान उसकी जान चली गई।
किशनपुर थाना क्षेत्र के भीकमपुर गांव निवासी रामबाबू निषाद की छह वर्षीय पुत्री पारुल निषाद बुधवार की रात अचानक बुखार से पीड़ित हो गई। परिवार वालों ने रातभर बच्ची की देखभाल की, लेकिन सुबह तबीयत बिगड़ने पर रामबाबू उसे पास के रक्षपालपुर स्थित सिंह नर्सिंग होम लेकर गए।
परिजनों के अनुसार, नर्सिंग होम के संचालक ने बिना किसी विस्तृत जांच के खुद ही पारुल को इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगाते ही बच्ची की हालत बिगड़ने लगी। संचालक ने परिजनों से कहा कि तीन घंटे में बच्ची को होश आ जाएगा और उन्हें घर भेज दिया। लेकिन बच्ची बेहोश ही रही।
तीन घंटे बीतने के बाद जब बच्ची को होश नहीं आया, तो परिजनों ने संचालक से दोबारा संपर्क किया। संचालक ने फिर से आश्वासन दिया कि दो घंटे में होश आ जाएगा। जब पांच घंटे तक भी बच्ची को होश नहीं आया, तो परिजन फिर नर्सिंग होम पहुंचे। वहां पहुंचने पर देखा कि संचालक नदारद था और अन्य स्टाफ भी असहाय नजर आ रहा था।
परिजनों के मुताबिक जब वे सुबह 10 बजे दोबारा बच्ची को लेकर नर्सिंग होम पहुंचे तो वहां मौजूद एक कर्मी ने उन्हें किसी अन्य अस्पताल ले जाने की सलाह दी। इसी दौरान बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की मौत नर्सिंग होम के गेट पर ही हो गई। यह दृश्य देखकर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। बच्ची की मां संतरानी देवी तो बेसुध हो गईं।
बच्ची की मौत के बाद गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने नर्सिंग होम के बाहर जमकर हंगामा किया। आरोप है कि इसी दौरान नर्सिंग होम का शेष स्टाफ भी मौके से फरार हो गया। देखते ही देखते नर्सिंग होम के ताले बंद हो गए और पूरा परिसर वीरान हो गया। सूचना मिलते ही किशनपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और भीड़ को शांत कराया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. राजीव नयन गिरि ने घटना का संज्ञान लेते हुए विजयीपुर के एमओआईसी को मौके पर भेजा है। सीएमओ ने कहा कि यदि जांच में झोलाछाप चिकित्सा और लापरवाही की पुष्टि होती है तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि संचालक के चिकित्सा योग्यता प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है।
किशनपुर थानाध्यक्ष विद्या प्रकाश सिंह ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी। परिजनों की ओर से प्राप्त तहरीर के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
घटना के बाद पूरे गांव और आस-पास के इलाके में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का आरोप है कि रक्षपालपुर में कई ऐसे नर्सिंग होम और क्लिनिक चल रहे हैं, जिन्हें न तो किसी सरकारी मंजूरी मिली है और न ही वहां प्रशिक्षित स्टाफ है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे अवैध स्वास्थ्य केंद्रों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
पारुल निषाद की मौत स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और अवैध चिकित्सा केंद्रों की पोल खोलने वाली घटना बन गई है। एक मासूम को मामूली बुखार में इलाज के नाम पर जिंदगी गंवानी पड़ी। यह न सिर्फ चिकित्सा प्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आमजन की जान के साथ हो रहे खिलवाड़ का जीवंत उदाहरण भी है।
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Published on:
01 Aug 2025 09:08 am