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अपने अंतिम समय में Bhagat Singh कौन सी किताब पढ़ रहे थे? वो 3 किताबें जो उनकी सबसे प्रिय रही

Bhagat Singh को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। अपने स्कूल के दोस्त जयदेव कपूर से कहकर उन्होंने तीन किताबें कार्ल लीबनेख़्त की 'मिलिट्रिज़म', लेनिन...

भारत

Anurag Animesh

Aug 02, 2025

Bhagat Singh
Bhagat Singh(Photo Credit-Social Media)

Bhagat Singh: 23 मार्च, 193, यही वो तारीख थी, जिस दिन शहीद-ए-आज़म भगत सिंह(Bhagat Singh) को फांसी दी गई थी। तीनों क्रांतिकारियों(भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव) को 12 घंटे पहले ही फांसी दे दी गई थी। अगले दिन सुबह छह बजे की बजाय उन्हें उसी शाम सात बजे फांसी पर चढ़ा दिया गया था। लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। ऐसे कई मौके आए जब भगत सिंह को अपने लिए लड़ाई लड़कर खुद को बचाना था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस बारे में उनका जवाब था कि "इन्कलाबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मजबूत होता है, अदालत में अपील से नहीं। ऐसे थे स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी भगत सिंह। बहुत अच्छी बातों में से एक बात यह भी थी कि उनको किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। कई रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र किया गया है कि अपने अंतिम समय में भी भगत सिंह किताबों में खोए हुए थे। वो अपने दोस्तों से कई बार किताबें जेल में मंगवाते थे, और उसे पढ़ते थे।

अंतिम समय में ये किताब पढ़ रहे थे Bhagat Singh

भगत सिंह को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। अपने स्कूल के दोस्त जयदेव कपूर से कहकर उन्होंने तीन किताबें कार्ल लीबनेख़्त की 'मिलिट्रिज़म', लेनिन की 'लेफ़्ट विंग कम्युनिज़म' और साथ ही आप्टन सिंक्लेयर का उपन्यास 'द स्पाई मंगवाई थी। फांसी के कुछ समय पहले तक वो किताबें पढ़ रहे थे। अंतिम समय में भगत सिंह लेनिन की जीवनी "State and Revolution" पढ़ रहे थे, जो उन्होंने अपने वकील प्राण नाथ मेहता से फांसी से कुछ समय पहले मंगवाई थी। इतना ही नहीं जब उनसे उनकी आखिरी ख्वाहिश पूछी गई तो उन्होंने बताया कि वो किताब पढ़ रहे हैं और फांसी के लिए कुछ देर ब्रिटिश सरकार रुक जाएं ताकि वो अपना किताब खत्म कर सकें। यही उनकी आखिरी इच्छा भी थी। उन्होंने आग्रह करते हुए थे कहा कि एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से बात कर रहा है, इसलिए कुछ देर रुक जाएं। किताब खत्म करने के बाद उन्होंने किताब को ऊपर की तरफ उछाला और कहा, "चलो अब चलें"।

Bhagat Singh का आखिरी संदेश क्या था?


कई किताबों और मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र है कि जब भगत सिंह को फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले उनके वकील मेहता उनसे मिलने पहुंचे तो उन्होंने भगत सिंह से पूछा कि आप देश के नाम कोई संदेश देना चाहते हैं? तो भगत सिंह ने जवाब में कहा कि, " सिर्फ़ दो संदेश… साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और 'इंक़लाब ज़िदाबाद!" भगत सिंह ने अपने वकील से यह भी कहा कि मेरा धन्यवाद पंडित जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस को पहुंच दें। क्योंकि उन दोनों ने मेरे केस में गहरी रुचि ली थी और नजर बनाए हुए थे।

Bhagat Singh की प्रिय किताबें


वैसे तो भगत सिंह का शौक ही पढ़ना था। लेकिन उसमें भी वे लेनिन , जो एक रूसी क्रांतिकारी थे, उनको बहुत पसंद करते थे। अपने अंतिम समय में भी वे लेनिन की ही किताब "State and Revolution" पढ़ रहे थे। Left-Wing" Communism: An Infantile Disorder, भी उनकी पसंदीदा किताबों में से एक थी। इसके अलावा Land Revolution in Russia, Materialism( karl liebknecht) भी उन्होंने पढ़ा था। भगत सिंह ने "why i am an atheist" नामक किताब भी लिखी थी।