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UPSC Aadhaar Authentication: पूजा खेडकर विवाद के बाद UPSC ने लॉन्च किया पोर्टल, 92 प्रतिशत कैंडिडेट्स ने चुना आधार प्रामाणीकरण का विकल्प

UPSC Aadhaar Authentication: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने हाल ही में आधार आधारित प्रमाणीकरण के साथ अपना संशोधित परीक्षा पोर्टल को लॉन्च किया है। अब तक यूपीएससी के नए प्लेटफॉर्म पर 2.65 अकाउंट बनाए गए

UPSC Aadhaar Authentication
यूपीएससी आधार प्रामाणीकरण (क्रेडिट-पत्रिका)

UPSC Aadhaar Authentication: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने हाल ही में आधार आधारित प्रमाणीकरण के साथ अपना संशोधित परीक्षा पोर्टल को लॉन्च किया है। इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने वाले 92% से अधिक लोगों ने पहचान सत्यापन के लिए अपने आधार का उपयोग करने का विकल्प चुना है। यूपीएससी ने 28 मई 2025 को पोर्टल लॉन्च किया था।

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यूपीएससी ने लॉन्च किया पोर्टल

UPSC का ये नया पोर्टल आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं के लिए आवेदन प्रक्रिया को कारगर बनाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। उम्मीदवारों को अब upsconline.nic.in पोर्टल पर चार चरणों की प्रक्रिया के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इन चरणों में अकाउंट खोलना, यूनिवर्सल रजिस्ट्रेशन, सामान्य आवेदन पत्र और परीक्षा आवेदन जैसे चरण शामिल हैं।

करीब 2 लाख अकांउट बनाए गए

एक रिपोर्ट में छपे आंकड़ें के अनुसार, बीते बुधवार तक यूपीएससी के नए प्लेटफॉर्म पर 2.65 अकाउंट बनाए गए थे। इनमें से 1.13 लाख यूजर्स ने यूनिवर्सल रजिस्ट्रेशन पूरा किया और उनमें से 1.05 लाख ने आधार वेरिफिकेशन चुना। लगभग 60,000 ने सामान्य आवेदन पत्र भरा था, जबकि 55,000 फॉर्म अभी भी अंडर प्रोसेस थे।

यूपीएससी ने लागू किया बायोमेट्रिक-आधारित प्रमाणीकरण

यह पहली बार है जब यूपीएससी अपनी परीक्षाओं के लिए बायोमेट्रिक-आधारित प्रमाणीकरण लागू कर रहा है। हालांकि, इससे पहले भी लिए जाने वाले डॉक्यूमेंट में से एक आधार कार्ड शामिल था। लेकिन इससे पहले बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का नियम नहीं था। पिछले साल अगस्त में यह बदलाव लाया गया। 28 अगस्त, 2024 को जारी डीओपीटी अधिसूचना ने यूपीएससी को पंजीकरण चरण में और परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया के विभिन्न चरणों के दौरान हां/नहीं या ई-केवाईसी प्रमाणीकरण का उपयोग करके आधार सत्यापन का उपयोग करने की अनुमति दी।

यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आधार प्रमाणीकरण स्वैच्छिक है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि यूपीएससी उम्मीदवारों को इसे चुनने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, क्योंकि इससे सत्यापन में तेजी आती है। पहचान के अन्य रूपों को चुनने वालों को प्रमाणीकरण प्रक्रिया में देरी का सामना करना पड़ सकता है।

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पूजा खेडकर मामले के बाद लागू हुआ ये नियम

पिछले साल पूजा खेडकर का हाई-प्रोफाइल मामला सामने आने के बाद, यूपीएससी ने बायोमेट्रिक-आधारित प्रमाणीकरण का यह निर्णय लिया। पूजा खेडकर एक प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी हैं, जो अधिकारों के कथित दुरुपयोग को लेकर विवाद में आई थीं। 2023 बैच की आईएएस अफसर खेडकर पर चयन सुनिश्चित करने के लिए धोखाधड़ी करने और गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग और विकलांग कोटा का लाभ लेने का आरोप लगाया गया, जिसके बाद डीओपीटी ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। खेडकर ने आरोपों से इनकार किया है और अदालत में फैसले को चुनौती दी है।