जिम्मेदारों ने चांवल बोरियों को ढक़ने के लिए कवर नहीं पहुंचाया इसलिए बढ़ी समस्या।
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जगदलपुर. शहर से सटे केशलूर गांव के लोग इन दिनों बारिश में फैले मलेरिया, डेंगू के बाद कीडों से परेशान नजर आ रहे हैं। यहां कीडों ने आतंक मचा रखा है। इन कीड़ों ने इस तरह गांव वालों को परेशान कर रखा है कि वे बाहर घुमना तो छोडि़ए घर में खाना तक नहीं खा पा रहे हैं। दरअसल ग्राम पंचायत केशलूर के मुरुमगुड़ा पारा में वेयरहाउस बना हुआ है। यहां सरकारी उचित मूल्य की दुकानों के राशन को रखा जाता है। कीड़ें न हों इसके लिए बारिश के पहले चांवल के पूरे लॉट को सुरक्षित तरीके से रखने के साथ आवश्यक कार्रवाई करनी होती है। जिससे की कीड़े न निकले। लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया है। जिसकी वजह से अब यहां कीड़े उत्पन्न हो गए हैं जिसकी वजह से पूरे गांव का जीना मुश्किल हो गया है।
तोकापाल बास्तानार और दरभा का राशन होता है इका केशलूर के इस वेयरहाउस में तोकापाल, दरभा और बास्तानार के सभी सरकारी उचित मूल्य की दुकानों का राशन इका होता है और उसके बाद इन जगह के दुकानों में राशन वितरित किया जाता है। यही वजह है कि इस वेयर हाउस में प्रति महीनों हजारों क्विंटल चांवल का भंडारण किया जाता है। करीब 7- 8 बड़ बड़े गोदामों में सैकड़ों लाट चांवल रखा जाता है।मानसून से पहले यह तरीके अपनाए जाते हैं, जो इस बार नहीं हुए
दरअसल वेयरहाउस में बारिश के पहले जमा चांवल के लॉट की बोरियां को समय पर ढंकना होता है। इसे अच्छी तरह कवर करके कीड़ा मार दवा का छिडक़ाव किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में बेहद सावधानी भी बरती जानी जरूरी होती है। इन सब तरीकों को मानसून के पहले पूरा करना होता है। जिससे कीड़े का पैदा होना खत्म हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया। जिसका खामियाजा पूरा गांव भुगत रहा है।
मानसून में डेंगू, मलेरिया के साथ एक नई समस्या
मानसून में बस्तर में सबसे ज्यादा सर्पदंश, डेंगू और मलेरिया का खतरा बना रहता है, लेकिन अब इन खतरों के अलावा तोकापाल ब्लॉक के ग्राम पंचायत केशलूर में ग्रामीणों के सामने एक नई समस्या कीड़ों की आकर खड़ी हो गई है। लाखों की संख्या में इन कीड़ो ने पूरे गांव में अपना कब्जा जमा लिया है। अब गांव वाले घर से निकलते हैं वे उनके आंखों में घुस रहे है, वहीं घर में खाने के लिए बैठ रहे हैं तो उनकी थाली में गिर रहे हैं। इन कीड़ों ने गांव वालों का जीना मुश्किल कर दिया है।
वर्सन
चांवल की बोरियों को ढकने के लिए उन्हें समय पर कवर नहीं मिला। साधन भी उपलब्ध नहीं था। जिसके कारण आवश्यक कार्रवाई नहीं की जा सकी। दरअसल चांवल की बोरियों को कवर करके दवाई का छिडक़ाव करना आवश्यक है, जो नहीं किया। जल्द ही इसे करवा लिया जाएगा।
राजेंद्र कुमार चीरा, वेयरहाउस प्रबंधक, केशलूर
क्या कहते हैं ग्रामीण
शिकायत की गई लेकिन समस्या जस की तस
कीड़े की समस्या आते ही गांव वालों के साथ मिलकर वेयरहाउस प्रबंधक से शिकायत मौखिक तौर पर की गई। लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा कोई आवश्यक कार्रवाई नहीं की। अब लोगों का जीना मुहाल हो गया है। गांव वाले इसके खिलाफ अब आंदोलन की बात कह रहे हैं।
गणपत भारद्वाज, ग्रामीण
एक महीने से झेल रहे समस्या
ऐसा नहीं है कि यह समस्या पिछले दो से चार दिन की है। बल्कि गांव वाले इस समस्या से पिछले एक महीने से भी अधिक समय से परेशान है। जब इस तरह की समस्या आने की जानकारी थी तो वेयरहाउस को आबादी वाले इलाके के पास बनाना ही नही चाहिए था।
सुनीता कश्यप, ग्रामीण
खाना खाओ तो कीड़ा, बाहर निकलों तो कीड़ा
पिछले एक महीने से पूरी ंिजंदगी में कीड़ा मिल गया है। खाना खाते समय में प्लेट में कीड़ा, बाहर निकलने पर कान और आंख में कीड़ा, सोते समय बिस्तर में कीड़ा। पूरे गांव का जीना मुहाल हो गया है। अब तो लोग बीमार भी होने लगे हैं। मैं खुद शहर में दोस्त के यहां रहने जाने की सोच रहा हूं।
मदन कश्यप, ग्रामीण
Published on:
05 Aug 2024 12:15 pm