नई दिल्ली। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत प्रस्तावित एक करोड़ मकानों में से अब तक मात्र 12 लाख ही बन सके हैं और यह लक्ष्य पूरा करने के लिए अगले तीन वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। बाजार अध्ययन एवं साख निर्धारक एजेंसी क्रिसिल ने गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि इस साल 26 नवंबर तक इस योजना के तहत 63 लाख मकानों की स्वीकृति दी जा चुकी है, लेकिन उनमें मात्र 12 लाख ही अब तक बन सके हैं। इनके अलावा 23 लाख मकान निर्माणाधीन हैं। इस प्रकार स्वीकृत मकानों में से 28 लाख का निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ है। कुल स्वीकृत मकानों में से 55 फीसदी आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में हैं।
अगले तीन साल में खर्च करने होंगे एक लाख करोड़
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय ने इस वित्त वर्ष के अंत तक 75 लाख मकानों के लिए स्वीकृति देने और 30 लाख का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा है। योजना के तहत डेढ़ लाख रुपए प्रति मकान के हिसाब से वित्त वर्ष 20121-22 तक सात साल में कुल डेढ़ लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने थे। इनमें अब तक मात्र 22 फीसदी यानी 32,500 करोड़ रुपए ही जारी किए गए हैं। चालू वित्त वर्ष के बजट में 19,000 करोड़ रुपए का प्रावधान इस मद में किया गया है। इस प्रकार अगले तीन साल में एक लाख करोड़ रुपए जारी किए जाने हैं जो सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
सरकार ने बॉन्ड के जरिए धन की व्यवस्था की
क्रिसिल रिसर्च के वरिष्ठ निदेशक कोपरकर ने कहा कि हमारी गणना के हिसाब से लक्ष्य प्राप्ति के लिए सरकार को अगले तीन साल में एक लाख करोड़ रुपए इस मद में खर्च करने होंगे। मौजूदा वित्तीय परिस्थितियों को देखते हुए यह काफी मुश्किल काम होगा।’ मंत्रालय ने बजट से इतर पैसे जुटाने के लिए आवास एवं शहरी विकास कॉर्पोरेशन जैसी इकाइयों के जरिए बॉन्ड जारी कर धन जुटाने की योजना बनाई है। ये बॉन्ड 10 साल के होंगे और अवधि पूरी होने पर इनके भुगतान के लिए भी उस समय के बजट में प्रावधान करना होगा।
Updated on:
07 Dec 2018 08:29 am
Published on:
06 Dec 2018 05:29 pm