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छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मंदिर, जो 16 साल से बन रहा “दीयों और कलशों” से… जानें मान्यताएं

Kalash Temple in Chhattisgarh: दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में एक अनोखा और अद्भुत कलश मंदिर स्थित है, जो भगवान हनुमान जी को समर्पित है।

छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मंदिर, जो 16 साल से बन रहा "दीयों और कलशों" से... जानें मान्यताएं(photo-patrika)
छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा मंदिर, जो 16 साल से बन रहा "दीयों और कलशों" से... जानें मान्यताएं(photo-patrika)

Kalash Temple: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में एक अनोखा और अद्भुत कलश मंदिर स्थित है, जो भगवान हनुमान जी को समर्पित है। यह मंदिर पिछले 16 वर्षों से निर्माणाधीन है और आज भी इसका निर्माण कार्य लगातार जारी है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसमें पारंपरिक ईंट और पत्थर की जगह मिट्टी के दीयों और कलशों का उपयोग किया गया है, जो इसे पूरे छत्तीसगढ़ में अनूठा बनाता है।

Kalash Temple: मंदिर का निर्माण पूर्णत

लोक आस्था और श्रद्धा के साथ किया जा रहा है। यह मंदिर एक सुंदर तालाब के किनारे स्थित है, जिससे इसकी भव्यता और भी बढ़ जाती है। धमधा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर ना केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वास्तुकला और परंपरा का भी जीवंत उदाहरण है। श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान भक्ति, शांति और आस्था का केंद्र बनता जा रहा है।

मिट्टी के दीयों और कलशों से तैयार

इस मंदिर का निर्माण पिछले 16 वर्षों से लगातार जारी है और आज भी इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है, जो इसे विशेष बनाता है। इसकी सबसे अनूठी विशेषता इसकी निर्माण सामग्री है। मंदिर को बनाने में पारंपरिक ईंट-पत्थर या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया, बल्कि इसे पूरी तरह से मिट्टी के दीयों और कलशों से तैयार किया जा रहा है।

यह निर्माण शैली मंदिर को एक अलग ही पहचान देती है और पूरे छत्तीसगढ़ में इसे एकमात्र ऐसा मंदिर बनाती है। मंदिर का वातावरण शांत, आस्था से भरपूर और वास्तुशिल्प की दृष्टि से अत्यंत प्रेरणादायक है।

"हनुमान जी को समर्पित विशेष मंदिर

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में स्थित कलश मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला और निर्माण शैली के लिए जाना जाता है। यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है और इसका निर्माण कार्य पिछले 16 वर्षों से लगातार जारी है। इस मंदिर की सबसे खास बात इसकी निर्माण सामग्री है।

मंदिर को बनाने में केवल मिट्टी के दीयों और कलशों का उपयोग किया गया है। इसमें कहीं भी ईंट, पत्थर या सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया, जो इसे अन्य सभी मंदिरों से अलग बनाता है। यह निर्माण तकनीक न केवल इसकी पारंपरिकता को दर्शाती है, बल्कि आस्था और लोकशिल्प का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करती है। मंदिर का यह अनूठा रूप श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।

मिट्टी के दीपों से गढ़ी गई श्रद्धा की मिसाल

श्रद्धा और आस्था का प्रतीक यह मंदिर एक तालाब के शांत किनारे पर स्थित है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता में और अधिक चार चांद लगाता है। यह धार्मिक स्थल भक्तों के लिए न केवल पूजन का केंद्र है, बल्कि आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कराने वाला स्थान भी है। हनुमान जी के प्रति अटूट समर्पण भाव के साथ बनाया गया यह मंदिर श्रद्धालुओं को भक्ति और आस्था से जोड़ता है।

छत्तीसगढ़ का इकलौता मंदिर

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा में स्थित कलश मंदिर कई मायनों में अद्वितीय है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूरे छत्तीसगढ़ का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसे पूरी तरह से मिट्टी के दीयों और कलशों से बनाया गया है। मंदिर के निर्माण में कहीं भी ईंट, पत्थर या सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया, जो इसे अन्य पारंपरिक मंदिरों से बिल्कुल अलग बनाता है।

यह विशेषता न केवल इसकी वास्तुकला को अनोखा बनाती है, बल्कि इसे एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी स्थापित करती है। मंदिर की यह विशिष्टता श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।