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शांत हुआ चंबल का रौद्र रूप, लेकिन पीछे छोड़े बर्बादी के निशां

पिछले चार दिनों से रौद्र रूप दिखा रही चंबल रविवार सांय होते-होते शांत हो गई और खतरे के निशाने से नीचे बहने लगी। जिससे लोगों सहित प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। रविवार शाम 5 बजे चंबल का गज 129.90 मीटर था यानी वह अब खतरे के निशान से नीचे बह रही है। जो कि खतरे के निशान से लगभग 1 मीटर से कम है। चंबल का जलस्तर तो कम हो गया लेकिन अब उसके रौद्र की दास्तां भी घटते जलस्तर के साथ सामने आ रही है।

शांत हुआ चंबल का रौद्र रूप, लेकिन पीछे छोड़े बर्बादी के निशां The ferocious form of Chambal has calmed down, but it has left behind signs of destruction

रविवार सांय तक 129.90 मीटर पहुंचा जलस्तरबाढ़ से गांवों में फैली गंदगी, फसलें हुई बर्बाद

धौलपुर.पिछले चार दिनों से रौद्र रूप दिखा रही चंबल रविवार सांय होते-होते शांत हो गई और खतरे के निशाने से नीचे बहने लगी। जिससे लोगों सहित प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। रविवार शाम 5 बजे चंबल का गज 129.90 मीटर था यानी वह अब खतरे के निशान से नीचे बह रही है। जो कि खतरे के निशान से लगभग 1 मीटर से कम है। चंबल का जलस्तर तो कम हो गया लेकिन अब उसके रौद्र की दास्तां भी घटते जलस्तर के साथ सामने आ रही है।

हाड़ौती क्षेत्र और कैचमेंट एरिया से लगातार पानी की आवक के साथ हुई बारिश और के कारण कोटा बैराज के गेट खोले गए थे। इससे तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी की निकासी की गई थी। इस वजह से चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से करीब 12 मीटर अधिक 142.63 मीटर तक पहुंच गया था। धौलपुर जिले के बाढ़ प्रभावित गांवों के लिए राहत की खबर है। चंबल नदी का जलस्तर अब खतरे के निशान से नीचे आ गया है। रविवार को नदी का जलस्तर 129.९0 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 130.79 मीटर से कम है। इसके अलावा पार्वती बांध के गेट बंद होने के बाद सैंपऊ और मनियां क्षेत्र के लोगों के लिए भी राहत मिली है। इन क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से बंद पड़े रास्तों पर अब आवागमन फिर से शुरू हो गया है। लेकिन जहां बाढ़ आई थी वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है पानी में जलमग्न हुए घर धराशायी हो गए गांवों में कीचड़ और गंदगी का आलम है। जिले भर में लगातार हो रही बारिश से नदी, तालाब, झरना, जलाशय और दरिया लबालब भर चुके हैं। शहरों से लेकर गांवों तक बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। इस आसमानी आफत से सबसे ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं।

प्रशासन पहुंचा रहा बाढ़ पीडि़तों को मदद

चंबल में आई बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा राजाखेड़ा और सरमथुरा उपखंड प्रभावित हुए हैं। इन दोनों उपखंडों सहित जिले भर में दो दर्जन गांव के लोग बाढ़ से प्रभावित हुए। पिछले दो दिन से चंबल नदी का जलस्तर कम होना शुरू हुआ है। अब जलस्तर के खतरे के निशान से नीचे आने के बाद प्रशासन बाढ़ पीडि़तों तक राहत सामग्री पहुंचाने का काम कर रहा है। तो वहीं कई समाज सेवी संस्थाएं भी बाढ़ पीडि़तों को मदद पहुंचा रही हैं। जैसे-जैसे चंबल और पार्वती नदी का पानी कम हो रहा है वैसे-वैसे ग्रामीणों को भी राहत की सांस मिल रही है।

जलभराव से फसलें हुई बर्बाद

जिले भर में पिछले दिनों से हो रही लगातार बारिश और बाढ़ के कारण खरीफ की सभी फसलें बर्बाद हो रही हैं। खेत और खलियानों में पानी भरा हुआ है। जिससे बाजरा, दलहन, तिलहन, ग्वार, ज्वार जैसी फसलें पानी में डूब गई हैं और फसल गलने लगी हैं। तो वहीं मवेशी पालन पर भी संकट है। चारा पानी से बर्बाद होने के कारण किसानों को मवेशी बेचने तक की नौबत आ सकती है। शहर की कॉलोनियों और गांव के मोहल्लों में पानी घुस रहा है। गलियां और मोहल्ले तालाब बन गए हैं। मकानों में सीलन की वजह से कई घर गिर रहे हैं। जुलाई में बारिश होने के बाद किसानों ने बुवाई की थी, लेकिन बुवाई के दो दिन बाद फिर से झमाझम बारिश शुरू हो गई। इससे खेतों में अंकुरित हो रही फसल पूरी तरह नष्ट हो गई।