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उधार के अधिकारियों से शहरी-ग्रामीण विकास का झूठा साबित होता सपना

राज्य सरकार की अनदेखी और राजनीतिक दखलंदाजी के चलते राजाखेड़ा उपखंड में शहरी विकास के लिए जिम्मेदार नगर पालिका और ग्रामीण विकास के लिए जिम्मेदार पंचायत समिति में विभागों के मुखियाओं के पद 2018 से रिक्त हैं। जिससे लोगों का विकास का सपना आज भी सपना ही बना हुआ है। लोगों का आरोप है कि राजनीतिक कारणों से इन विभागों में विभागीय अधिकारियो को नहीं आने दिया जाता और उनके स्थान पर कनिष्ठ अधिकारियों को कार्यवाहक का जिम्मा दिलाकर राजनीतिक हित ही साधे गए हैं ।

उधार के अधिकारियों से शहरी-ग्रामीण विकास का झूठा साबित होता सपना The dream of urban-rural development is proved false by borrowed officers

2018 से नगरपालिका और पंचायत समिति कार्यवाहक अधिकारियों के हवाले

नगरीय और शहरी विकास हो रहा प्रभावित

dholpur, राजाखेड़ा.राज्य सरकार की अनदेखी और राजनीतिक दखलंदाजी के चलते राजाखेड़ा उपखंड में शहरी विकास के लिए जिम्मेदार नगर पालिका और ग्रामीण विकास के लिए जिम्मेदार पंचायत समिति में विभागों के मुखियाओं के पद 2018 से रिक्त हैं। जिससे लोगों का विकास का सपना आज भी सपना ही बना हुआ है। लोगों का आरोप है कि राजनीतिक कारणों से इन विभागों में विभागीय अधिकारियो को नहीं आने दिया जाता और उनके स्थान पर कनिष्ठ अधिकारियों को कार्यवाहक का जिम्मा दिलाकर राजनीतिक हित ही साधे गए हैं ।

शहरी विकास की अवधारणा के लिए स्थापित नगरपालिका में 8 मई 2018 से अधिशाषी अधिकारी का पद लगातार रिक्त है और जनप्रतिनिधियों के पसंदीदा कनिष्ठ अधिकारियों को ही कार्यवाहक का पदभार दिलाकर काम चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि शहरी क्षेत्र में अनियोजित विकास, कर्षि भूमि पर बनी अवैध कॉलोनियां क्षेत्र को कंक्रीट जंगल का रूप दे चुकी है। अतिक्रमणों के चलते पालिका की अरबो रुपए की बेशकीमती भूमि अब प्रभावशाली लोगों के कब्जों में जाकर निजी संपत्ति बन चुकी है। स्थापना के बाद अब तक पालिका निजी आय का जरिया तक खोज नहीं पाई है। जिससे वह अब तक अपनी स्थापना के औचित्य को पूरा नहीं कर पाई है और राज्य सरकार की इमदाद के भरोसे ही कार्य कर पा रही है

कमोबेश यही हालात पंचायत समिति में भी बने हुए हैं जो ग्राम स्वराज्य और ग्राम विकास की अवधारणा को पूरा करने के लिए बनाए गए पंचायती राज विभाग की पंचायत समिति का है। जहां विकास अधिकारी के पद पर आर डी एस कादर के अंतिम अधिकारी की तैनाती दस अगस्त 2018 के बाद भी नहीं की गई, बल्कि विधायक व प्रधान के पसंदीदा अधिकारियों को ही कार्यवाहक विकास अधिकारी के पद पर तैनात किया जाता रहा है। ऐसे में यह विभाग भी ग्रामीण विकास का केंद्र नहीं रहा वरण राजनीति के अखाड़े के केंद्र बन चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों के बिगड़ते हालात, बेरोजगारी और रोजगार के अभाव में दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक जैसे राज्यो में पलायन इस विभाग की स्तानीय स्तर पर विफलता के प्रमाण नजर आते है।

सर्वाधिक बजट इन्हीं विभागों में

गौरतलब है कि ग्रामीण और शहरी विकास के लिए सरकार अपने बजट का सर्वाधिक हिस्सा इन्हीं दो विभागों को जारी करती है और शहरी क्षेत्र में विकास का अधिकांश दारोमदार नगरपालिका व ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत समिति विभागों पर होने के बाद भी इनमे पूर्णकालिक जिम्मेदार अधिकारियों को तैनाती न देना व्यवस्थाओं ओर जनप्रतिनिधियों की मंशा पर सवाल जरूर खड़ा कर रहा है। सर्वाधिक बजट के कारण बिखरी मलाई यहां जनप्रतिनिधियों को सर्वाधिक आकर्षित करती है।

विकास का सपना अधूरा

जिम्मेदार अधिकारियों की कमी के चलते आज भी क्षेत्र राजस्थान के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में शुमार होता है केंद्र और राज्य की विकास योजनाओं की भरमार के बाद भी इन्हें लागू करवाने की दृढ़ इक्षाशक्ति का अभाव विकास की वाट जोहते राजाखेड़ा के नागरिकों के सपनों को अब तक पूरा नहीं कर पाया है ।