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धौलपुर के इंजीनियर का कमाल: एप से मिलेगी 7 बांधों की जलभराव और बाढ़ खतरे की रियल टाइम जानकारी

मानूसनी सीजन में जल संसाधन विभाग (सिंचाई) का कामकाज बढ़ जाता है। नदियों में पानी के बहाव और बांधों में आने वाले बरसाती पानी और छोडऩे को लेकर सटीक जानकारी के लिए विभागीय कार्मिकों को काफी माथापच्ची करनी पड़ती थी लेकिन धौलपुर जिला मुख्यालय पर कार्यरत सहायक अभियंता अंशुल मित्तल ने ‘मानसून ऐप’ डवलप कर कार्य को आसान बना दिया।

धौलपुर. ऐप की जानकारी देते एईएन अंशुल मित्तल।

रोहित शर्मा/धौलपुर. मानूसनी सीजन में जल संसाधन विभाग (सिंचाई) का कामकाज बढ़ जाता है। नदियों में पानी के बहाव और बांधों में आने वाले बरसाती पानी और छोड़ने को लेकर सटीक जानकारी के लिए विभागीय कार्मिकों को काफी माथापच्ची करनी पड़ती थी लेकिन धौलपुर जिला मुख्यालय पर कार्यरत सहायक अभियंता अंशुल मित्तल ने ‘मानसून ऐप’ डवलप कर कार्य को आसान बना दिया। अब कोई भी कभी भी जिले से गुजर रही चंबल और पार्वती नदियों के बहाव और बांधों में जलस्तर की ताजा स्थिति को बस एक मिनट में मोबाइल स्क्रीन पर देख सकते हैं।

इस ऐप से विभाग को खासी मदद मिल रही है और अब डेटा की जानकारी करने में मुश्किल कम हुई है। विशेष बात ये है कि डेटा 24 घंटे में अपडेट के साथ कभी भी अधिकारी भी अपडेट कर सकते हैं। ऐप पर मौजूद डेटा साधारण तरीके से दर्शाया है।

इस कार्य की अतिरिक्त मुख्य अभियंता भरतपुर ने भी सराहना की और साथ ही भरतपुर की रिपोट्र्स तैयार करने में मदद ली है। एईएन का कहना है कि भविष्य में इस ऐप का दायरा बढ़ाया जा सकता है और यह जल संसाधन विभाग के लिए काफी मददगार साबित होगा। प्रदेश का जल संसाधन विभाग का यह संभवतया पहला ऐप है।

पुरानी फाइलों की स्थिति देख आया ख्याल

कार्यालय पर पुराने रेकॉर्ड की स्थिति देख उन्हें आइडिया आया कि जल संसाधन विभाग का डेटा भी बेव पर होना चाहिए। फिर वह स्वयं मई माह में ऐप तैयार करने में जुट गए। ऑनलाइन जानकारी ली और फिर 10 जून 2025 तक ऐप बना उसकी टेस्टिंग शुरू की। सही काम करने पर 15 जून से उसे विभागीय डेटा के लिए उपयोग करना शुरू कर दिया।

ऐप फिलहाल लिंक वेसेज पर है, प्ले स्टोर पर नहीं है। ऐपी फाइल डाउनलोड कर कोई भी व्यक्ति सटीक जानकारी ले सकता है। ऐप निर्माण पर करीब 4 हजार का खर्चा आया। वहीं, जिला कलक्टर श्रीनिधि बी टी ने कार्य को आसान बनाने की एईएन की नई सोच की सराहना की।

किस गांव में बाढ़ का खतरा, ऐप देगा सटीक जानकारी

जिले से चंबल नदी गुजर रही है और कई गांव इसके किनारे बसे हुए हैं। कोटा बांध से पानी छोडऩे की स्थिति पर इस मानसून ऐप के जरिए प्रशासनिक अधिकारी या अन्य कोई पता कर सकेगा कि नदी में कितने क्यूसेस पानी छोडऩे पर जिले के किन-किन गांवों को खतरा है और चेतावनी के साथ पानी कितने क्यूसेस पानी रिलीज पर प्रवेश करेगा। ऐप को गूगल मैप से जोड़ा है, जिससे सटीक जानकारी मिलेगी।

आम व्यक्ति गेस्ट लॉगिन से ले सकेगा जानकारी

करौली निवासी अंशुल बताते हैं कि ‘मानसून कनेक्ट’ ऐप पर विभाग के पुराने डेटा डिजिटल लाइजेशन करने में विभाग के कम्प्यूटर ऑपरेटर दीपक की मदद ली। बताया कि जल संसाधन विभाग का डेटा सर्वर पर स्टोर हो रहा है। दैनिक मानसून रिपोर्ट के लिए स्वचालित रिपोर्ट जनरेशन प्रणाली, बांध और नदियों में रियल टाइम गेज निगरानी में मददगार है।

अंशुल ने बताते हैं कि ऐप के लिंक से मोबाइल पर खुलने पर आम व्यक्ति गेस्ट लॉगिन कर डेटा देख सकता है। कहा कि इस ऐप में चाहे तो प्रदेश भर का डेटा अपलोड कर और बेहतर कर सकते हैं, जिस पर सभी जिलों की जानकारी आसानी से मिलने में सहुलियत होगी।

जिले में 7 प्रमुख बांध और दो नदी

जिले में चंबल और पार्वती प्रमुख नदी हैं। साथ ही साल मुख्य बांध जिसमें पार्वती, रामसागर, उर्मिला सागर, तालाबशाही, उमरेह, हुसैनपुर और आरटी बांध शामिल है। जिसे में विभाग के 8 वर्षा निगरानी केन्द्र हैं। वहीं, पुराने रेकॉर्ड के अनुसार जिले में चंबल नदी क्षेत्र के 69 बाढ़-संवेदनशील गांव हैं।