Krishna Janmashtami on 15 August : हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत खास महत्व है। इस साल जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार जन्माष्टमी पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो कई वर्षों बाद आ रहा है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में, मध्यरात्रि को हुआ था।
ज्योतिषाचार्या और टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा के मुताबिक इस साल अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:49 बजे शुरू होकर 16 अगस्त की रात 9:34 बजे समाप्त होगी। धार्मिक परंपरा के अनुसार, 15 अगस्त को स्मार्त संप्रदाय और 16 अगस्त को वैष्णव संप्रदाय जन्माष्टमी मनाएंगे।
शास्त्रों के अनुसार, जब अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग बनता है, तो इस दिन व्रत रखने और भगवान कृष्ण का पूजन करने से तीन जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह योग शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला भी माना जाता है। निर्णय सिंधु ग्रंथ में भी वर्णन है कि त्रेता, द्वापर और सतयुग में विद्वानों ने इसी योग में उपवास किया, इसलिए कलियुग में भी यह सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
अष्टमी तिथि: 15 अगस्त रात 11:49 बजे से 16 अगस्त रात 9:34 बजे तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: 16 अगस्त, रात 12:04 से 12:47 बजे तक
चंद्रोदय समय: 11:32 पूर्वाह्न
रोहिणी नक्षत्र: 17 अगस्त शाम 4:38 से 18 अगस्त सुबह 3:17 बजे तक
कई लोग इस व्रत का पारण रात 12 बजे के बाद करते हैं, जबकि कुछ लोग अगले दिन सूर्योदय के बाद।
भगवान लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री का भोग बेहद प्रिय है। जन्माष्टमी पर आप घेवर, पेड़ा, मखाने की खीर, रबड़ी, मोहनभोग, रसगुल्ला और लड्डू जैसे मिठाइयों का भोग भी लगा सकते हैं।
व्रत से एक दिन पहले (सप्तमी) सात्विक भोजन करें। व्रत के दिन स्नान कर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठकर संकल्प लें। देवकी जी के लिए सूतिका गृह बनाएं और उसमें भगवान कृष्ण एवं माता देवकी की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजन करें। व्रत रात 12 बजे के बाद ही खोलें और फलाहार में कुट्टू की पकौड़ी, मावे की बर्फी या सिंघाड़े का हलवा खाएं।
ऐसे दुर्लभ संयोग में व्रत रखने से तीन जन्मों के पाप मिट जाते हैं। भगवान कृष्ण की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, कष्ट दूर होते हैं और भटकी आत्माओं को भी मुक्ति मिलती है।
Published on:
14 Aug 2025 03:52 pm