कांवड़ यात्रा खत्म होने के बाद श्रद्धालुओं का सैलाब मनसा देवी मंदिर की ओर उमड़ा। रविवार सुबह जैसे ही मंदिर के दरवाजे खुले, दर्शन के लिए भीड़ सीढ़ियों की ओर बढ़ने लगी। इसी दौरान बिजली के खंभे में शॉर्ट सर्किट की अफवाह फैल गई, जिससे भगदड़ मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
इस हादसे में छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई और करीब 29 लोग घायल हो गए। सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और बताया है कि स्थिति अब नियंत्रण में है।
मनसा देवी की ये घटना कोई पहली नहीं है। इससे पहले भी देश के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर भारी भीड़ के चलते भगदड़ हुई है, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। आइए डालते हैं कुछ बड़ी घटनाओं पर नजर...
उत्तर प्रदेश के हाथरस में बाबा नारायण हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। बाबा, जो एक पूर्व पुलिसकर्मी थे, दो दशक पहले धार्मिक उपदेशक बने और पश्चिमी यूपी में उनकी बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। आयोजन स्थल पर भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
नए साल के मौके पर जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस दुर्घटना में 12 श्रद्धालुओं की जान चली गई और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए। यह हादसा दर्शाता है कि भीड़ नियंत्रण आज भी एक गंभीर चुनौती बना हुआ है।
आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी शहर में गोदावरी नदी के तट पर आयोजित 'पुष्करम' महोत्सव के उद्घाटन दिन भी भगदड़ मच गई। हादसे में 27 तीर्थयात्रियों की जान गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
दशहरा समारोह के बाद बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में लोगों की भारी भीड़ में भगदड़ मच गई। इस घटना में 32 लोगों की मौत हुई और 26 लोग घायल हो गए।
मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले में स्थित रतनगढ़ मंदिर में नवरात्रि के दौरान हुई भगदड़ में 115 श्रद्धालुओं की जान चली गई। अफवाह थी कि जिस पुल से लोग गुजर रहे थे, वह टूटने वाला है — इसी डर में मची भगदड़ ने सैकड़ों परिवार उजाड़ दिए।
पटना के अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान अस्थायी पुल ढह जाने की वजह से भगदड़ मची, जिसमें करीब 20 लोगों की मौत हो गई। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही की एक और मिसाल बनी।
केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में मकर संक्रांति के दौरान भारी भीड़ में भगदड़ मचने से 106 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह देश की सबसे भयावह धार्मिक भगदड़ों में एक मानी जाती है।
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में मुफ्त वस्त्र और भोजन वितरण के दौरान मची भगदड़ में 63 लोगों की मौत हो गई। कार्यक्रम में भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था नदारद थी।
राजस्थान के जोधपुर स्थित चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह के चलते मची भगदड़ में 250 श्रद्धालु मारे गए और 60 से अधिक लोग घायल हुए। यह घटना भारत के इतिहास की सबसे भयावह भगदड़ों में शामिल है।
हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाह ने भगदड़ में बदलकर 162 श्रद्धालुओं की जान ले ली और 47 लोग घायल हुए। अफवाह और अव्यवस्थित निकासी योजना इस त्रासदी का कारण बनी।
महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित मंधारदेवी मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान सीढ़ियों पर फिसलन की वजह से मची भगदड़ में 340 से अधिक श्रद्धालु कुचलकर मारे गए। यह घटना देश की सबसे घातक धार्मिक भगदड़ों में दर्ज हुई।
महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले के दौरान पवित्र स्नान करते समय मची भगदड़ में 39 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 140 से ज्यादा लोग घायल हुए।
Updated on:
27 Jul 2025 04:27 pm
Published on:
27 Jul 2025 04:18 pm