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Independence Day 2025 : आजाद भारत में लाल किले पर फहराया गया पहला तिरंगा देश में कहां बना था? जानें क्या है राजस्थान से उसका कनेक्शन

Independence Day 2025 : राजस्थान सहित पूरे देश में शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस 2025 मनाया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराएंगे। क्या आपको मालूम है कि 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर जो तिरंगा फहराया गया था, वह कहां बना था?

Independence Day 2025 Where was first tricolor flag of independent India hoisted at Red Fort made in country Know its connection with Rajasthan
फाइल फोटो पत्रिका

Independence Day 2025 : राजस्थान सहित पूरे देश में शुक्रवार को स्वतंत्रता दिवस 2025 मनाया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराएंगे। क्या कभी सोचा है कि 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ था, उस वक्त लाल किले पर जो तिरंगा फहराया गया था उसका निर्माण कहां हुआ था। यह जानकार आश्चर्य होगा आजादी के साल फहराए गए तिरंगे का राजस्थान से बड़ा कनेक्शन है। जीहां, 15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर पर जो पहला तिरंगा फहराया गया था वह दौसा के आलूदा गांव में बना था। आलूदा गांव दौसा से करीब 14 किमी दूरी पर स्थित है।

चौथमल महावर ने तैयार किया कपड़ा

इस वजह से दौसा के आलूदा गांव देशभर में फेमस है। पर अब शायद यह कम लोगों को पता हो। आलूदा गांव में एक बुनकर रहते थे, जिनका नाम था चौथमल महावर। इन्हीं चौथमल महावर ने करीब 2 माह की कड़ी मेहनत से तिरंगे का सूती कपड़ा तैयार किया। इस कपड़े को पश्चिम बंगाल के स्वतंत्रता सेनानी टाट साहब ने तिरंगे के रंग में रंग दिया। बस फिर क्या था तिरंगा तैयार हो गया।

दौसा के आलूदा गांव की खुल गई किस्मत

पर आलूदा के अलावा जयपुर जिले के गोविंदगढ़ से भी तिरंगा दिल्ली भेजा गया था। पर किस्मत में कुछ और लिखा था। लाल किले पर दौसा के आलूदा गांव का बना हुआ ध्वज ही फहराया गया था। आलूदा गांव के बुनकरों ने तो अब यह काम बंद कर दिया है, पर जसोता और बनेठा गांव के बुनकर अब भी तिरंगे का कपड़ा तैयार करते हैं।

पूरे देश में सिर्फ तीन स्थानों पर ही बनाया जाता है तिरंगे का कपड़ा

जानकारी के अनुसार आज पूरे देश में सिर्फ तीन स्थानों पर ही तिरंगे का कपड़ा बनाया जाता है। इनमें राजस्थान का दौसा, महाराष्ट्र का नांदेड़ और कर्नाटक का धारवाड़ इलाका है। पूरे देश में सिर्फ इन तीन जगहों पर ही तिरंगे का कपड़ा बनाया जाता है।