दौसा। सरकार की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सम्बल देने के लिए संचालित सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में धांधली के साथ ही भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इसमें कुछ ई-मित्र संचालकों द्वारा कार्मिकों के साथ मिलीभगत कर जनाधार में बैंक खाता संख्या बदलकर अपने चहेतों के खाता संख्या जोड़कर गरीबों के हक को छीनकर मोटी रकम हड़पने की तैयारी में हैं। यदि कोई पेंशनधारक दौसा जिले से बाहर का है तो उन पेंशनधारकों के जनाधार में बैंक खाता संख्या बदलकर व जनाधार का पता ग्राम पंचायत तक बदली जा रही है।
ऐसे मामले बैजूपाड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत मीनापाड़ा व आस-पास की पंचायतों के अधिक आ रहे हैं, लेकिन जनाधार व खाता संख्या पंचायत समिति बैजूपाड़ा के विकास अधिकारी की आईडी से वेरिफिकेशन (सत्यापन) एवं आरएजेएसएसपी की आईडी से पता व खाता संख्या बदला जा सकता है।
आखिर में सवाल यह उठता है कि ई-मित्र संचालकों के पास अधिकारियों की आईडी कैसे पहुंची। जिससे वे पता एवं खाता संख्या बदल रहे हैं। यह सवाल बैजूपाड़ा पंचायत समिति प्रशासन पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है। ऐसे में इस मामले में पेंशन विभाग से जुड़े कुछ कार्मिकों एवं ई मित्र संचालकों की लिप्तता होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। आरएजेएसएसपी की आईडी व जनाधार वेरिफिकेशन की आईडी सरकारी कार्मिकों के जिम्मे होती हैं।
ये वे पेंशनधारक हैं, जिनके खाता संख्या गलत होने के कारण कई महीनों से पेंशन रुकी हुई थी। अब ई-मित्र धारकों द्वारा इनमें अपने परिचितों के बैंक खाता संख्या बदल दी गई है और पीपीओ भी जारी कर दिए गए हैं। पेंशन का भुगतान प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में हो जाता है। ऐसे में विभाग की ओर से यदि इन पेंशनधारकों के पीपीओ संख्या को बिल बनने से पहले स्टॉप नहीं किया गया तो गरीबों के हक पर डाका लग सकता है।
सूत्रों के मुताबिक बैजूपाड़ा पंचायत समिति के अधीन ऐसे करीब 142 प्रकरण हैं। जिनकी काफी लंबे समय से पेंशन रुकी हुई है। जिनके अब खाता संख्या बदलकर पीपीओ नम्बर भी जारी कर दिए गए हैं। अब लंबे समय से रुकी हुई पेंशन एक साथ आएगी। ऐसे में प्रत्येक खातों में औसतन 15 से 20 हजार रुपए आंएगे।
हालांकि किस व्यक्ति की पेंशन कब से रुकी हुई है यह तो जांच के बाद ही पता लग सकेगा, लेकिन बताया जा रहा है कि करीब 20 से 25 लाख रुपए से अधिक का भुगतान है। जिनके पीपीओ जारी किए गए हैं और उनमें धांधली होने की संभावना है। हालांकि इसकी भनक लगने पर कुछ पेंशनधारकों ने बैजूपाड़ा विकास अधिकारी से शिकायत कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
बैजूपाड़ा में पंचायत समिति वर्ष 2022 में अस्तित्व में आई है। जबकि यह मामला वर्ष 2016 से 2020 के बीच के हैं। तब यह क्षेत्र बांदीकुई पंचायत समिति के अधीन था। फिर भी स्टॉप पेंशन से जुड़े मामलों की जांच करा ली जाएगी। हमारे यहां से कोई पीपीओ जारी नहीं हुआ है और न ही ऐसा कोई मामला है। -राकेश बंशीवाल, पेंशन शाखा प्रभारी पंचायत समिति बैजूपाड़ा
Published on:
02 Aug 2025 12:36 pm