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आदमखोर मगरमच्छ भूरा के परिवार का चौथा सदस्य वन अमले की गिरफ्त में, भेजेंगे भोपाल

दमोह जिले की ब्यारमा नदी अब केवल एक नदी नहीं, बल्कि मगरमच्छों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गई है। नोहटा थाना क्षेत्र के कनियाघाट पटी गांव में पिछले 12 दिनों में वन विभाग ने चार विशालकाय मगरमच्छों का रेस्क्यू किया है और सबसे खास बात यह है कि ये सभी एक ही कुनबे से जुड़े […]

दमोह

Hamid Khan

Aug 03, 2025

आदमखोर मगरमच्छ भूरा के परिवार का चौथा सदस्य वन अमले की गिरफ्त में,
आदमखोर मगरमच्छ भूरा के परिवार का चौथा सदस्य वन अमले की गिरफ्त में,

दमोह जिले की ब्यारमा नदी अब केवल एक नदी नहीं, बल्कि मगरमच्छों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गई है। नोहटा थाना क्षेत्र के कनियाघाट पटी गांव में पिछले 12 दिनों में वन विभाग ने चार विशालकाय मगरमच्छों का रेस्क्यू किया है और सबसे खास बात यह है कि ये सभी एक ही कुनबे से जुड़े बताए जा रहे हैं, जिसे स्थानीय ग्रामीण आदमखोर भूरा और उसका परिवार बता रहे हैं।

ग्रामीणों ने रखा था मगरमच्छ का नाम भूरा

बता दें कि 20 जुलाई को पकड़ा गया 13 फीट लंबा मगरमच्छ ÓभूराÓ क्षेत्र में दहशत का पर्याय बन चुका था। ग्रामीणों के अनुसार यह मगरमच्छ लंबे समय से नदी में देखा जाता था और उसकी मौजूदगी से लोग नदी किनारे जाने से भी डरते थे। ग्रामीणों ने ही इस मगरमच्छ को पहचान कर 'भूराÓ नाम दिया था। ग्रामीणों की माने, तो इसने एक साल में दो जानें लीं हैं। बहरहाल वन अमले ने इस इलाके से 20 जुलाई, 25 जुलाई, 29 व 2 अगस्त को चौथा मगरमच्छ पकड़ा है।

दो मगरमच्छ भेजे भोपाल

डीएफओ ईश्वर जरांडे ने बताया कि पकड़े गए पहले दो मगरमच्छों को भोपाल के वन विहार भेजा गया। तीसरा मगरमच्छ जिले के ङ्क्षसगौरगढ़ तालाब में छोड़ा और चौथा मगरमच्छ वन विहार भोपाल भेजा जा रहा है।

महिला की जान जाने से शुरू हुआ अभियान

गौरतलब है कि 11 जुलाई को इसी क्षेत्र में एक महिला की जान मगरमच्छ ने ले ली थी, जिसके बाद वन विभाग ने सक्रिय होकर रेस्क्यू अभियान शुरू किया। ग्रामीणों ने भी इस अभियान में भरपूर सहयोग किया। वनमंडल अधिकारी ईश्वर जरांडे ने बताया कि ब्यारमा नदी की सीधी कनेक्टिविटी केन नदी से है, जिससे यह इलाका मगरमच्छों के लिए अनुकूल बन गया है। यहां मगरमच्छों को प्रजनन, अंडा देने और रहने के लिए सुरक्षित माहौल मिल रहा है।

अब तक चार मगरमच्छों का सफल रेस्क्यू किया गया है। ग्रामीणों की सुरक्षा सर्वोपरि है और अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित न हो जाए।
ईश्वर जरांडे, वनमंडल अधिकारी, दमोह