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आचार्य विशुद्ध सागर के पथरिया चातुर्मास के दौरान दिए गए प्रवचन के अंश

aacharya Vishuddh Sagar

दमोह

Samved Jain

Aug 05, 2025

aacharya Vishuddh Sagar
aacharya Vishuddh Sagar

दमोह. विरागोदय तीर्थ पथरिया में चातुर्मास के दौरान धर्म सभा में आचार्य विशुद्धसागर ने कहा कि सबके दिन एक.से नहीं होते। सब दिन एक से नहीं होते। दिन बदलते देर नहीं लगती। जिंदगी में किसके साथ क्या हो जाय पता नहीं। श्रीराम को राज्य मिलने वाला था, उसी दिन वनवास हो गया। श्रीकृष्ण का जन्म जेल में हुआ। सती सीता को गर्भवती अवस्था में वन में छोड़ दिया गया। रावण ने सीता का हरण कर लिया था, लेकिन फिर भी सीता श्रीराम की ही कहलाती थी। आप हरण तो कर सकते हो, वस्तुक्षीण सकते हो, पर अपनी बना नहीं सकते हो। ऐसे ही हमारा गिरनार तीर्थ कुछ लोग हथियाना चाहते हैं, वह छीन सकते हैं, पर गिरनार जैनों का था, है और रहेगा। जिंदगी संभल-संभल कर जियो । भूलकर भी किसी का तिरस्कार मत करो। कब किस पर, कौन सी विपत्ति आ जाय, कुछ पता नहीं। जियो और जीने दो। बुरे का फल बुरा ही होता है। क्षण भर की कषाय, भव-भव में पीडि़त करती है। कर्म किसी को नहीं छोड़ता, इसलिए कषाय करके कर्मों का आमंत्रण मत करो । जैसा बीज भूमि में बोओगे वैसी फसल होगी। अपने किए गए कुटिल भावों का फल जीव को स्वयं ही भोगना पड़ता है। जो दान देता है, उसकी जगत में प्रशंसा होती है, यश प्राप्त होता है और सम्पत्ति वर्धमान होती है। जो जिनेन्द्र प्रभु की पूजा करता हैए उसको सुन्दर रूप की प्राप्ति होती है। जो साधुओं की सेवा करता है, उसकी समाज में शीघ्र ही ख्याति फैल जाती है। श्रेष्ठ कार्य करो, क्योंकि श्रेष्ठता पाना है तो शुभकार्य करना ही होगा। प्रभु का नाम स्मरण करो, निश्चित कर्म का क्षय होगा। मन स्थिर करना हैए तो मंत्र जाप करो। सही सोचो, सही बोलोए सही रास्ते पर चलो।