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दमोह : चाइल्ड ट्रैकिंग ऐप से ड्रॉपआउट रोकने सर्वे, महीने भर में महज ६ प्रतिशत काम

6 से 18 उम्र तक का बच्चों का रखा जाना है रेकॉर्ड, दमोह में तेज, पथरिया में महज 1.92 प्रतिशत सर्वे

दमोह

Samved Jain

Aug 05, 2025

Boys Higher Secondary School Chand

दमोह. शिक्षा से कोई भी बच्चा वंचित न हो, उसे स्कूल में दाखिला मिले, इसे लेकर घर-घर पहुंचकर सर्वे कर ऑनलाइन जानकारी दर्ज की जा रही है। चाइल्ड ट्रैकिंग ऐप के माध्यम से 6 से 18 साल तक के बच्चों की पहचान कर उन्हें पोर्टल पर अंकित किया जा रहा है। अगर इस दौरान कोई विद्यार्थी स्कूल से बाहर है तो उस संबंध में विशेष रिमार्क लगाकर निगरानी में रखा जाएगा। ताकि उसे भी स्कूल में प्रवेश कराने के प्रयास हो सकें। जिले में सभी शिक्षकों को इस ऐप के माध्यम से सर्वे करना है। हालांकि यह कार्य कई शिक्षकों ने शुरु कर दिया है। इस व्यवस्था का उद्देश्य नामांकन में वृद्धि करना और ड्रॉपआउट को रोकना है। जिसमें नामांकित और गैर नामांकित दोनों बच्चों की पहचान आसान है।

पहले ऐप इंस्टॉल में परेशानी, अब धीमी गति से हो रहा
१० जून से यह सर्वे शुरू होना था। जिसकी जिम्मेदार जिले के ६५०० से अधिक शिक्षकों पर थी, लेकिन ऐप के साफ्टवेयर में परेशानी के कारण यह काम १० जुलाई तक शुरू नहीं हो सका। १० जुलाई से शुरू हुए सर्वे से ३ अगस्त महज ५.६९ प्रतिशत काम ही जिले में हो सका है। इसमें सबसे ज्यादा दमोह में १२.७० प्रतिशत काम, जबकि तेंदूखेड़ा में सबसे कम १.९२ प्रतिशत काम हो सका है। इसके अलावा पटेरा, जबेरा और हटा में भी काम की रफ्तार धीमी हैं। यहां २ से ३ प्रतिशत काम ही हुआ है।
-परिवार आईडी से जुटाया जा रहा डेटा
इस पहल के तहत, शिक्षा विभाग द्वारा विकसित चाइल्ड ट्रैकिंग ऐप का उपयोग किया जा रहा है। शिक्षकों को उनके संबंधित वार्डों में आवंटित घरों का सर्वेक्षण करने का काम सौंपा गया है। ऐप में परिवार आईडी के माध्यम से पूरे परिवार के बच्चों की जानकारी उपलब्ध है, जिसमें बच्चों के नाम, कक्षा, विद्यालय, दूरी और ड्रॉपआउट जैसी जानकारी शामिल है। यह ऐप नामांकन में सुधार, ड्रॉपआउट की पहचान और सहायता योजनाओं की पात्रता तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
-ड्रॉपआउट पर विशेष फोकस
सर्वेक्षण के दौरान, शिक्षकों को उन बच्चों की पहचान करनी होगी जो स्कूल नहीं जा रहे हैं, साथ ही बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चे, प्रवासी श्रमिकों के बच्चे और 6 से 18 वर्ष के बीच के ड्रॉपआउट बच्चे भी शामिल हैं। इस जानकारी का उपयोग शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूल से जोडऩे और ड्रॉपआउट को कम करने के लिए किया जाएगा।
-कैसे करता है ऐप काम
शिक्षक घर पर पहुंचे और परिवार आईडी को चाइल्ड ट्रैकिंग ऐप में भरेंगे। इसके बाद पूरे परिवार का डाटा शिक्षक के सामने होगा। उसकी उम्र, स्कूल में अध्ययनरत है या नहीं? अगर स्कूल छोड़ दिया है तो इसकी शिक्षक को प्राप्त होगी। इससे बच्चे को स्कूल लाया जाएगा।

फैक्ट फाइल
७ लाख ९४८०१ परिवार जिले में।
४५२३७ परिवारों का हो चुका है सर्वे।
५८६९० बच्चों तक पहुंचा जा चुका अब तक।
५४१५५ बच्चे जा रहे स्कूल
३४८ बच्चे जाना चाहते है स्कूल
१५५ बच्चे किसी स्कूल में दर्ज नहीं है।
३६२३ बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है।
५.६ प्रतिशत काम जिले का अब तक हुआ।
-वर्जन
सर्वे का काम किया जा रहा है। इसमें तेजी लाने के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं। सर्वे के माध्यम से ऐसे बच्चों की पहचान होगी, जो शिक्षा से दूर हैं। जिन्हें स्कूलों में दाखिला दिलाने का काम किया जाएगा।
मुकेश द्विवेदी, डीपीसी दमोह