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Big Scam: फल बेचने वाली फर्म को पेंटिंग और सफाई का भुगतान, नगरपालिका में करोड़ों रुपयों की हेराफेरी

mp news: मध्य प्रदेश की दमोह नगरपालिका ने नियम-कायदे ताख पर रख दिए। एक ही फर्म से बार-बार खरीदारी कर डाली और 155 फर्जी फर्मों को बिना पूछे करोड़ों का भुगतान कर दिया।

दमोह

Akash Dewani

Aug 03, 2025

damoh nagar palika fake gst number scam shell firm mp news
damoh nagar palika fake gst number scam shell firm mp news (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

mp news: दमोह नगरपालिका में नियमों को तोड़कर कैसे घोटाला होते हैं, बीते साल हुई जांच में सब सामने आ गया था, जिसमें नपा ने क्रय के नियमों की धज्जियां उड़ाकर एक महीने में एक फर्म से 39 बार खरीदारी कर 37 लाख के भुगतान कर दिए। इतना ही नहीं 155 से अधिक ऐसी फर्में जो अलग-अलग व्यवसाय के लिए दर्ज थीं, उनके बिलों पर 2 करोड़ से अधिक भुगतान किए गए थे।

कलेक्टर ने कराई थी जांच

मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच कराई थी। जिसमें बड़ी वित्तीय अनियमितता सामने आई थी, लेकिन साल भर से इस जांच पर पर्दा डला हुआ है और अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। कलेक्टर सुधीर कोचर ने इस मामले को लेकर कहा कि मामले में जांच कराई गई थी। उस पर क्या-क्या एक्शन हुए। इसका फॉलोअप लेता हूं। (fake gst number scam)

दरअसल, पीएम आवास योजना शहरी, आउटसोर्स कर्मचारियों से संबंधित 2022-23 व 2023-24 में स्वच्छता भारत मिशन व अन्य मदों में भुगतान संबंधी बिलों में गड़बड़ी हुई थी। जिसमें नियमों को तोड़ते हुए तत्कालीन सीएमओ भैयालाल सिंह ने करीब 2 करोड़ के भुगतान 155 फर्मों को कर दिए थे। मामला सुर्खियों में आने के बाद जब जांच हुई तो बड़ी वित्तीय गड़बड़ी मिली थी।

फर्जी जीएसटी नंबर पर हुए लाखों के भुगतान


  1. नियमानुसार सीएमओ एक माह में 20 हजार तक का क्रय बिना निविदा या कोटेशन के कर सकता है, लेकिन 2022-23 व 2023-24 के देयकों की जांच में माह जुलाई 2022 में महाकाल कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर दमोह से 39 बार क्रय किया गया, जिसका 37 लाख 51 हजार 671 रुपए भुगतान किया गया।




  2. नियमानुसार एक लाख से अधिक क्रयों की दशा में निविदा आमंत्रित करना होती है, लेकिन ऐसे मामलों में क्रय के बाद भी निविदा नहीं लगाई गई। सीएमओ द्वारा एक ही अवधि में एक से ज्यादा बार समान फर्मों का भुगतान किया जाना पाया गया।




  3. देयकों का रेकॉर्ड सही मिलना चाहिए और टैक्स राशि शासन के खाते में जाना चाहिए, लेकिन जांच में रेकॉर्ड दुरस्त नहीं मिले। देयकों को वाउचर संलग्न नहीं मिले थे। देयकों में कांट छांट पाई गई। देयकों पर टीडीएस कटौती 2 प्रतिशत दर से हुई, लेकिन यह राशि शासन के पक्ष में जमा नहीं हुई। (fake gst number scam)

कैसे-कैसे किया फर्जीवाड़ा

जांच समिति ने जब इन 155 देयकों पर हुए भुगतान की जांच की तो और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे, जो अपराध की श्रेणी में आते है। संजय हार्डवेयर, देवांश सेल्स एंड सप्लायर, श्रीराम इंटरप्राइजेज, शांभवि इंटरप्राइजेज के जीएसटी नंबर पोर्टल पर जांच में फर्जी पाए गए।

इसके अलावा 90 ऐसी फर्म थीं, जिन्हें बिना जीएसटी के ही भुगतान कर दिया गया। फर्जी जीएसटी वाली देवांश सेल्स एंड सप्लायर को अप्रैल से नवंबर 2023 तक 12 बिलों पर 10 लाख 47798 रुपए भुगतान हो गया। जबकि शांभवि को 21 बिलों पर 4 लाख 25 हजार 523 को भुगतान हुआ। वहीं भक्ति इंटरप्राइजेज को 19 बिलों पर 13 लाख 42 हजार 713 के भुगतान किए गए।