
विश्व कप जीतने के बाद हेड कोच अमोल मजूमदार से गले मिलती भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर। (फोटो सोर्स: IANS)
Amol Muzumdar: डीवाई पाटिल स्टेडियम में रविवार रात भारतीय महिला टीम के पहली बार महिला वनडे विश्व कप जीतने के बाद रविवार रात नवी मुंबई के डॉ. डीवाई पाटिल स्टेडियम में हर तरफ खुशी का माहौल था। खिताब जीतने के कुछ देर बाद ही कप्तान हरमनप्रीत कौर सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने मुख्य कोच अमोल मजूमदार के पास पहुंची और उनके पैर छुए। पर्दे के पीछे भारतीय टीम की कमान संभालने वाले मजूमदार अभी तक यह बात समझ नहीं पा रहे कि ये कैसे संभव हुआ। उन्होंने कहा कि लेकिन मुझे यकीन है कि जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, यह बात समझ में आ जाएगी। लेकिन, यह एक अवास्तविक एहसास है।
अमोल मजूमदार घरेलू क्रिकेट के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज हैं। उन्होंने 1990 और 2000 के दशक में 171 प्रथम श्रेणी मैचों में 48.13 की औसत से 30 शतकों समेत 11,167 रन बनाए, लेकिन कभी टीम इंडिया में जगह नहीं बना सके। उन्होंने 2006-07 के सीजन में मुंबई ने रणजी ट्रॉफी का खिताब दिलाया था। उनसे जब भारत को पहली बार विश्व कप जिताने के अनुभव के बारे में पूछा गया तो बताया कि हरमनप्रीत के कैच के बाद मुझे नहीं पता कि क्या हुआ? अगले पांच मिनट धुंधले थे। मैं डगआउट में ऊपर देख रहा था। मुझे नहीं पता कि अगले पांच मिनट में क्या हुआ? सब गले मिल रहे थे। यह सभी के लिए एक भावुक क्षण था।
हरमन और मंधाना के साथ अपने समीकरण के बारे में मजूमदार ने कहा कि हरमन और मेरी ज्यादा बात नहीं होती है। स्मृति के साथ मैं बल्लेबाजी और प्लान के बारे में बहुत सारी बातें करता हूं। हरमन के साथ मेरे बहुत अच्छे कामकाजी रिश्ते हैं और ऐसा ही होना भी चाहिए। एक कोच और कप्तान को एक ही नजरिए से देखना चाहिए। हम हमेशा एकमत रहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भारत की विश्व कप जीत न सिर्फ भारतीय महिला क्रिकेट में, बल्कि भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मैं अभी एक तीन-चार साल की बच्ची से मिला हूं, जिसकी प्रेरणा हरमन है। वह जहां भी जाती है, हरमन के पीछे-पीछे जाती है। जब ऐसे मैच होते हैं तो ऐसे बच्चे प्रेरित होते हैं।
आप देखिए। डीवाई पाटिल स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था और सिर्फ स्टेडियम ही नहीं, मुझे नहीं पता कि कितने करोड़ लोगों ने टेलीविजन पर फाइनल देखा होगा। मुझे यकीन है कि वहां से, उनमें से कुछ को प्रेरणा मिली होगी। पता नहीं क्या पता। 1983 की तरह इसने उस पीढ़ी के कई क्रिकेटरों को प्रेरित किया।
भारत के विश्व कप सफर के बारे में मजूमदार ने कहा कि मैं खिलाड़ियों से कहता रहा कि हमने मैच नहीं गंवाया है, बस हम जीत की रेखा पार नहीं कर पाए। हम उन मैचों में प्रतिस्पर्धी थे। उन्होंने लगातार तीन हार पर कहा कि हम दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को हराने के बहुत करीब थे। लेकिन, लड़कियों ने जो धैर्य और दृढ़ संकल्प दिखाया है, वह अद्भुत है। न्यूजीलैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में और फिर फाइनल में दक्षिण अफ़्रीका के खिलाफ।
मज़ुमदार ने बताया कि मुझे लगता है कि शुरुआत से ही गुवाहाटी में श्रीलंका को हराकर माहौल बन गया था और विश्व कप के लिए रवाना होने से पहले हमने कई कैंप लगाए। इसलिए, गुवाहाटी एक टर्निंग पॉइंट था। जब हम गुवाहाटी के मैदान में उतरे, तो सब कुछ बदल गया।
Published on:
04 Nov 2025 01:17 pm
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