चित्तौडगढ़़. जिले के पशुपालकों को पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान के लिए जागरुक किया जा रहा है। सरकार की सेक्स सॉर्टेड सीमन योजना के तहत विभाग को 4500 डोज मिली है, जिसमें से अब तक 2300 डोज का वितरण किया जा चुका है। इससे अब 90 प्रतिशत बछड़ी अथवा पाड़ी ही पैदा होगी। इससे दूध उत्पादन में इजाफा होगा और नंदियों की समस्याओं का समाधान होगा। किसान और पशुपालक का संबंध आपस में जुड़ा हुआ है। एक अच्छा पशुपालक बेहतर किसान बन सकता है और इसके उलट भी। जब पशुपालक आर्थिक रूप से मजबूत होगा, तभी वह खेती-किसानी में भी नई तकनीकें अपना सकेगा। इस सोच को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सेक्स सॉर्टेड सीमन योजना को प्राथमिकता दी है। यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। पशुओं में सेक्स सॉर्टेड सीमन का उपयोग करने से 90 प्रतिशत से अधिक संभावना होती है कि केवल मादा बछड़ा अथवा पाड़ी ही जन्म ले। इससे दूध का उत्पादन में भी 10-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। इससे पशुपालकों को भी आर्थिक लाभ और वह भी सक्षम बनेंगे। सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक से जन्मी बछडिय़ां दो साल में दूध देना शुरू कर देती हैं। इससे नस्ल में तो सुधार होगा साथ ही पशुपालन को भी बढ़ावा मिलेगा।
पशुपालन विभाग के अनुसार जिले को अब तक सेक्स सॉर्टेड सीमन योजना के तहत गिर गाय का 3500 और मुर्रा नस्ल की भैंस का 1000 डोज मिली है। इसमें से गिर गाय की 1800 और मुर्रा नस्ल की 500 डोज ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सालय में भेजी जा चुकी है। इसके तहत चित्तौड़, गंगरार, राशमी, कपासन, भोपाल सागर, निम्बोहड़ा, बड़ी सादड़ी, डूगला और भदेसर में डोज भिजवाई गई है। सिर्फ बेगू और रावतभाटा डोज नहीं भेजी गई है। इसका कारण यहां गाय-बैल को बाड़े में एक साथ रखकर ही गर्भाधान कराने का चलन है।
गिर गाय नस्ल सुधार के लिए राजस्थान में पहली बार ब्राजील से गिर गोवंश के सांडों का फ्रोजन सीमन मंगवाया गया है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत मिले फ्रोजन सीमन की डोज 23 जिलों में वितरित की जाएगी। इसके तहत चित्तौड़ जिले से भी 50 डोज की डिमांड उदयपुर भेजी गई है। शुद्ध गिर गोवंश की मादाओं में कृत्रिम गर्भाधान के लिए इसका उपयोग किया जाएगा। इसके बाद गिर गायों की दूध की क्षमता दुगनी हो जाएगी।
परंपरागत गर्भाधान पद्धति से पैदा होने वाले नंदी अक्सर बाद में बेकार समझकर खुले छोड़ दिए जाते हैं। ऐसे नंदी या तो शहर-गांवों में पॉलिथीन खाकर बीमार हो जाते हैं या फिर सडक़ों पर घूमते हुए दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक से अधिकतर मादा जन्मेंगी, जिससे नंदियों की संख्या में स्वत: गिरावट आ जाएगी।
सेक्स सॉर्टेड सीमन से जन्मी मादा पशु न केवल नस्ल सुधार में सहायक हैं, बल्कि दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। पशुपालकों को उक्त योजना का अधिकाधिक लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
— डॉ. मंगेश जोशी, उपनिदेशक पशुधन विकास चित्तौडगढ़़
Published on:
23 Jun 2025 12:00 pm