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Custard apple crop: राजस्थान के इस जिले में बे-मौसम बारिश ने फीकी कर दी सीताफल की मिठास,किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

इस वर्ष चित्तौड़गढ़ में मानसून सीजन अच्छा होने से सीताफल से अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद संजोए बैठे थे। लेकिन, बीते दिनों बेमौसम हुई भारी बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। सीताफल बेचने वालों की स्थिति यह है कोई खरीदार ही नहीं है।

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बारिश से सीताफल की खेती खराब,पत्रिका फोटो

Custard Apple crop damaged: देश में चित्तौड़ दुर्ग की पहचान शक्ति-भक्ति और शौर्य की धरा के साथ सीताफल के लिए भी होती रही है। यहां के सीताफल की मांग देशभर में होती है। इस वर्ष चित्तौड़गढ़ में मानसून सीजन अच्छा होने से सीताफल से अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद संजोए बैठे थे। लेकिन, बीते दिनों बेमौसम हुई भारी बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। सीताफल बेचने वालों की स्थिति यह है कोई खरीदार ही नहीं है। बारिश के बाद सीताफल रातों रात पकने लगे हैं। फल पेड़ पर ही फट रहे और नीचे गिर रहे हैं।

दुर्ग निवासी अशोक कुमार राजोरा ने बताया कि बारिश के बाद सीताफल एक साथ पक गए हैं। बड़े आकार के फल नीचे गिर गए हैं। 13 किलोमीटर क्षेत्र में फैले चित्तौड़ दुर्ग पर सदियों से सीताफल की प्राकृतिक तरीके से खेती हो रही है। दुर्ग पर इनके अनगिनत पेड़ हैं। इस वर्ष दुर्ग पर सीताफल के पेड़ों पर अच्छे फल आए, उनकी गुणवत्ता अच्छी थी। लेकिन, बारिश ने सब खराब कर दिया। वहीं जहां हर बार सीताफल तोड़ने पर पाबंदी रहती है। वहां भी इस बार लोग सीताफल खाने के लिए मनुहार कर रहे हैं।

किसानों की उम्मीदों पर पानी फिरा

इस बार सीताफल का अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद थी, लेकिन गत दिनों हुई बारिश से सीताफल एक साथ पक गए। वहीं बड़े आकार के फल पकने के बाद तोड़ने से पहले ही नीचे गिर रहे है, जिससे अधिकांश फल खराब हो जाते है। दुर्ग वासियों ने बताया कि कई किसानों ने सीताफल एकत्रित करना ही बंद कर दिया। कई बगीचों में तो फल गिर का खराब हो रहे हैं। सीताफल ठेकेदार ने बताया कि प्रतिदिन करीब एक क्विंटल सीताफल की पैदावार हो रही है, लेकिन इनमें से काम के बीस किलो ही निकल रहे हैं। शेष सीताफल के मुंह फटने से इनकी बिक्री नहीं होती।

लोकल खरीदार नहीं, बाहर भेज नहीं पा रहे

दुर्ग के सीताफल के लोकल खरीदार कम हैं। हर बार दिल्ली, सुरत, मुंबई सहित कई बड़े शहरों में सीताफलों को भेजा जाता है जिससे सीताफल की खपत हो जाती है। इस बार फल पक जाने के कारण फल बाहर भेज नहीं पा रहे है। बड़े आकार के फल लगभग खत्म हो चुके हैं या पककर गिर गए हैं। सभी फलों को स्थानीय स्तर पर बेचना पड़ रहा है।

80-100 रुपए तक भाव में गिरावट

गत दिनों बारिश से पहले सीताफल के भाव 180-200 रुपए प्रति किलो था जो और बढ़ने की उम्मीद थी। लेकिन, बारिश के बाद सभी फल एक साथ पकने से भावों में गिरावट आ गई। वर्तमान में सीताफल 30 से 100 रुपए तक प्रति किलो के भाव से बिक रहे हैं।

सीताफल के पेड़ों की होती नीलामी

चित्तौड़ दुर्ग पर करीब 13 किलो मीटर क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर बड़ी मात्रा में सीताफल के पेड़ लगे हुए हैं। इनमें अपनी-अपनी भूमि पर लगे पेड़ों के सीताफल की नीलामी की जाती है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, राजस्व विभाग के साथ कुछ मंदिरों की जमीन पर भी सीताफल के पेड़ लगे हैं।