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Chittorgarh : अब प्रदेश में चलेगा ऐसा अभियान जो आत्महत्या रोकने में होगा कारगर…पढ़े पूरी खबर

प्रदेश में लगातार आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए गेट कीपर अभियान चलाया जाएगा। इसमें प्रमुख मोटिवेटर अवसाद में डूबे लोगों को मोटिवेट करेंगे। इसके लिए मास्टर्स टे्रनर्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रदेश में जाकर लोगों को मोटिवेट करेंगे

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प्रतिकात्मक फोटो।
चित्तौडगढ़़. किसी भी परेशानी या समस्या का विकल्प आत्महत्या कतई नहीं हो सकता। असफलता से ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है, आज नहीं तो कल। समस्या है तो उसका निराकरण भी संभव है आत्महत्याओं की रोकथाम की दिशा में कदम उठाते हुए राज्य सरकार चित्तौडगढ़़ जिले सहित प्रदेश भर में गेटकीपर अभियान चलाने जा रही है। प्रदेश में संचालित निरामय राजस्थान अभियान में मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता को जरूरी मानकर इस विषय को प्रमुखता से शामिल किया गया है। समाज में बढ़ती जा रही आत्महत्या की घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रदेश में गेटकीपर कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। जिसके शुरुआती चरण में मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण शुरू किया गया है। इसके बाद ट्रेनर्स जिलों और ब्लॉक स्तर के कार्मिकों को प्रशिक्षण देंगे। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रकोष्ठ एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ एंड न्यूरो साइंसेज के एन-स्प्रिट केन्द्र के सहयोग से मास्टर्स ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गेटकीपर कार्यक्रम के तहत लोगों में आत्महत्या या स्वयं को क्षति पहुंचाने के मामलों के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके विषय पर तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे।

अवसाद से घिरे लोगों को करेंगे मोटिवेट

इस कार्यक्रम के तहत हताश, निराश और आत्महत्या की सोच रखने वाले लोगों को गेटकीपर के रूप में आसानी से प्रभावी मोटिवेटर उपलब्ध होंगे। जिनकी मदद से अवसाद से घिरे लोगों को सही समय पर सही मार्गदर्शन मिल सकेगा और आत्महत्या का कारण बनने वाली समस्या के निराकरण में मदद मिल सकेगी। मानसिक बीमारियां तेजी से बढऩे लगी हैं। तनाव के विभिन्न कारण ऐसे भी हैं, पहचानने की क्षमता व्यक्ति में है तो वह अपने स्तर पर प्रबंधन कर निजात पा सकता है। आत्महत्या रोकथाम में तनाव प्रबंधन बड़ी भूमिका निभाएगा। मनदर्पण, टेलीमानस, गेटकीपर कार्यक्रम आदि नवाचार गतिविधियों के माध्यमसे मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को प्रदेश में और सुदृढ़ करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित मानसिक स्वास्थ्य इकाई, चिकित्सकगण एवं कार्मिकों को इस बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। विभिन्न तनकीकी सत्रों के माध्यम से सेल्फ हार्म या सुसाइड की स्थिति में किए जाने वाले इंटरवेंशन पर विस्तार से जानकारी प्रदान की जाएगी। इस अभियान में प्रदेश के मनो रोग विशेषज्ञों की भूमिका भी अहम होगी।