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Kirori Lal Meena : कृषि मंत्री बोले, मेवाड़ विश्वविद्यालय दे रहा फर्जी डिग्रियां

जिले के गंगरार स्थित मेवाड़ विश्वविद्यालय में कृषि मंत्री ने छापा मारकर फर्जीवाड़े को उजागर किया। वहां पर बिना पड़े ही परीक्षा लेकर डिप्लोमा आदि दिया जा रहा था। कॉपियों की जांच में अनियमिता पाई गई है। मंत्री ने विभाग की ओर मामला दर्ज कराने के निर्देश दिए।

चित्तौडगढ़़ . जिले में गंगरार स्थित मेवाड़ विश्वविद्यालय मंगलवार को कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के निशाने पर आ गया। कृषि मंत्री अपनी टीम ने साथ विश्वविद्यालय पहुंचे और बीकानेर के एक छात्र की ओर से की गई शिकायत के आधार पर जांच शुरू की। कृषि मंत्री की टीम ने शिकायतकर्ता छात्र सहित अन्य छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं देखी। बाद में कृषि मंत्री ने मीडिया से कहा कि मेवाड़ विश्वविद्यालय फर्जी तरीके से डिग्रियां दे रहा है। कृषि मंत्री की टीम में शामिल लोगों का दावा है कि विश्वविद्यालय में करीब सौ विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं ऐसी मिली हैं, जिनमें उत्तर सही लिखे हुए नहीं है। कहीं पर प्रश्नों के उत्तर पर सिर्फ सही के निशान लगे थे। नम्बर नहीं दिए गए थे। कॉपी के मुख्य पृष्ठ पर नम्बर अंकित किए गए थे। कॉपी पर किसी के हस्ताक्षर भी नहीं थे। इसके बाद कृषि मंत्री मीणा ने कहा कि कमरे को सील कर मामले की जांच की जाए। कृषि मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से आइसीएआर रजिस्ट्रेशन के बिना ही कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। इससे विद्यार्थियों को भविष्य खराब हो रहा है। क्यों कि ऐसी डिग्री के आधार पर वह प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकते हैं। शिकायतकर्ता छात्र बीकानेर निवासी स्वतंत्र को भी डिप्लोमा लेकर खाद-बीज की दुकान के लिए लाइसेंस लेना था। छात्र स्वतंत्र का कहना है कि बीकानेर के किशन कुमार ने उसका डीइएसआइ में डिप्लोमा करवाने की बात कही थी। 9 मई को किशन कुमार ने उससे 50 हजार रुपए ले लिए और परीक्षा देने के लिए मेवाड़ विश्वविद्यालय भेज दिया। ग्यारह मई को विश्वविद्यालय में उसकी परीक्षा ली गई। पहले एक प्रश्न-पत्र और उत्तरपुस्तिका देकर उसमें कुछ भी लिखने की बात कही गई। स्वतंत्र का कहना है कि उसने अपनी समझ के अनुसार प्रश्न-पत्र हल कर दिया। इसके बाद उसे तीन और प्रश्न पत्र दिए गए। छात्र के सामने ही उसकी कॉपी की जांच की गई। दो दिन पहले उसे डिप्लोमा दे दिया गया, जिसमें इसमें उसे 62 प्रतिशत अंकों के साथ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण दर्शाया गया है। छात्र का कहना है कि उसकी एक भी ऑनलाइन और ऑफ लाइन क्लास नहीं ली गई।

कृषि मंत्री का दाव: कॉलेज-विश्वविद्यालयों में फर्जीवाड़ा

मंत्री मीणा ने बताया कि प्रदेश में 12 विश्वविद्यालयों में से 4 ने ही आइसीएआर से एक्रीडेशन करवा रखा है। जबकि 8 ने एक्रीडेशन नहीं करवाया है। यही स्थिति कॉलेजों की है। इसमें 32 में से 30 कॉलेजों ने आइसीएआर से एक्रीडेशन नहीं करवाया है। छात्रों की डिग्री और डिप्लोमा को मान्यता नहीं मिलने के कारण वह किसी काम नहीं आती है।

बीएससी में भी फर्जीवाड़े का दावा

कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने दावा किया कि विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर डिप्लोमा ही नहीं बल्कि बीएससी हॉल्टीकल्चर और एग्रीकल्चर में भी फर्जीवाड़ा चल रहा है। कॉपियां सही तरह से नहीं जांची गई हैं। सिर्फ ऊपर ही अंक दिए गए हैं। जिसके इकाई में अंक आए हैं उसे भी पास कर दिया गया। कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग के जरिए एफआइआर दर्ज करवाई जाएगी। पहले भी एसओजी यहां जांच कर चुकी है। एसओजी ने कार्रवाई अधूरी क्यों छोड़ी, इसकी जानकारी की जाएगी।

कक्षा में पहुंचे मंत्री, विद्यार्थियों से की बातचीत

मेवाड़ विश्वविद्यालय में पहुंचने के बाद मंत्री मीणा कक्षा में भी गए और वहां पर उन्होंने विद्यार्थियों से बातचीत की। उन्होंने पूछा कि जेईटी परीक्षा से चयनित होकर कितने छात्र आए हैं। इस पर दो-तीन छात्रों ने हाथ ऊपर किए। इसके बाद वह कुछ विद्यार्थियों के पास पहुंचे और पूछा कि वे कहां से आए है, कक्षा में कितने बच्चे हैं सहित कई जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने तमिलनाडू से आए छात्र से बातचीत की।

दोपहर तक टीम करती रही जांच

मंत्री मीणा करीब 12 बजे विश्वविद्यालय पहुंचे। क्लास रूम के बाद परीक्षा नियंत्रक के यहां पहुंचे। रजिस्ट्रार डॉ. सी. डी. कुमावत भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने आवश्यक जानकारियां दी। इस दौरान टीम में शामिल सदस्य परीक्षा की कॉपियां देखने चले गए। करीब आधे घंटे बाद हाथ में कॉपियों का बंडल लेकर पहुंचे। इसके बाद मंत्री ने कई जानकारियां दी। वह परीक्षा नियंत्रक परिसर में ही बैठे रहे।

फिर सरकार कोर्स क्यों चलाती है

इधर, मेवाड़ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार व सीइओ डॉ. सीडी कुमावत ने बताया कि कोर्स में नियमानुसार ही प्रवेश दिए गए हैं। छात्र ने 9 मई को फीस जमा कराई होगी पर प्रवेश पहले ही लिया है। प्राइवेट विश्वविद्यालय बिना फीस के भी कोर्स करवा सकते हैं। विश्वविद्यालयों की ओर से की ओर से प्रवेश के लिए कई जगह ऑफिस खोले जाते हैं। ऑफिस में काम करने वाले को दलाल नहीं कहा जा सकता है। 40 दिन में छात्र को वीडियो और ऑनलाइन लेक्चर भेजे गए हैं। यह कोर्स सिर्फ उनके लिए हैं। जिन्हें खाद-बीज की दुकान खोलनी होती है। सरकार कोर्स चलाकर नौकरी नहीं दे सकती है तो वह कोर्स क्यों चलाती है। हमने भी कोर्स को आगे बढ़ाया है। कॉपी जांचने वाले ने एक कॉपी में हस्ताक्षर नहीं किए होंगे। बीएससी एग्रीकल्चर के कोर्स में जेट के माध्यम से प्रवेश होता है। अन्य राज्य के विद्यार्थियों को भी नियमानुसार ही प्रवेश दिए जाते हैं।