राजस्थान के झालावाड़ के जर्जर स्कूल में सात मासूमों की मौत के बाद भी जनजातीय कार्य विभाग की कार्यशैली नहीं सुधरी है। तीन दिन पहले सहायक आयुक्त ने बीइओ से ऐसे स्कूलों की जानकारी भेजने को कहा। उसके बाद भी बीइओ अपने इलाकों में जर्जर और बदहाल स्कूल ढंूढ नहीं पाए हैं। हालत यह है कि जानकारी के अभाव में स्कूल लगाने शिक्षक मजबूर है।
जनजातीय कार्य विभाग के अधीन विकासखण्ड हर्रई के जन शिक्षा केन्द्र बांका की एकीकृत माध्यमिक शाला सालढाना की स्थिति अत्यंत चिंताजनक हो चुकी है। विद्यालय भवन पूरी तरह जर्जर है। छत से लगातार पानी टपक रहा है, दीवारें कमजोर हो चुकी हैं। हर पल गिरने का खतरा बना हुआ है। गोंगपा के जिलाध्यक्ष देवरावन भलावी ने ये मुद्दा उठाय है। साथ ही कहा कि विद्यालय में अध्ययनरत आदिवासी बच्चों और उनके अभिभावकों में डर और चिंता का माहौल है। सुरक्षा के लिहाज से विद्यार्थी स्कूल नहीं आ रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है।
तामिया विकासखंड के अंतर्गत ग्राम आमाढाना स्थित प्राथमिक शाला खुद जीर्ण-शीर्ण हालत में है। भवन की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि बारिश के मौसम में छत से टपकते पानी को रोकने के लिए शिक्षक और बच्चे प्लास्टिक (पॉलीथिन) का सहारा लेने को मजबूर हैं। स्कूल की दीवारों पर सीलन और काई जमा है। इस खस्ताहाल भवन में बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। आमाढाना का यह विद्यालय शिक्षा व्यवस्था की हकीकत को उजागर कर रहा है।
जनजातीय कार्य विभाग के अधीन सभी विकासखण्डों के जर्जर भवनों की स्थिति की जानकारी मांगी गई है। बीइओ से जानकारी मिलने का इंतजार है।
-सतेन्द्र मरकाम, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग।
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Published on:
30 Jul 2025 10:58 am