घर-घर पहुंचकर पानी की जांच करने वाली स्वयं सहायता समूह की अमृत मित्र महिलाएं अब पानी की जांच नहीं कर रही हैं। इससे एक बार फिर शहर में सप्लाई पानी की जांच पुराने तरीके से ही होने लगी। यह पुराना तरीका सिर्फ क्लोरीन की जांच करने के लिए है। यह जांच पानी की टंकियों के आसपास से सैंपल लेकर की जाती है। इसकी माप रजिस्टर में दर्ज कर पेयजल विभाग पानी की शुद्धता को लेकर आश्वस्त हो जाता है। जबकि अमृत मित्र महिलाओं के माध्यम से घर के अंदर पहुंचने वाले पानी की शुद्धता की जांच होती थी। इसमें क्लोरीन सहित अमोनिया, टर्बोडिटी, पीएच, हार्डनेस एवं टीडीएस की जांच शामिल थी।
शहर में 43 हजार से अधिक नल जल उपभोक्ता हैं। पूर्व मेंं स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाएं हर दिन करीब 100 घरों तक पहुंच रही थीं। वे सैंपल लेकर मिली हुई एक किट से सभी प्रकार की जांच कर लेती थीं। एक किट से 200 जांच हो जाती थी। जांच के बाद अमृत मित्र महिलाएं अपनी फोटो एवं वीडियो भी बनाकर जिओ टैग करती थीं, लोकेशन भी शेयर की जाती थी। यह रिपोर्ट भोपाल एवं दिल्ली तक जा रही थी।
अमृत मित्र महिलाओं के माध्यम से सिर्फ छह माह तक जांच चली। प्रशिक्षण के बाद नवंबर 2024 से अप्रेल तक इन्होंने जांच की। फरवरी तक इन्हें 48 रुपए प्रति जांच के अनुसार उन्हें भुगतान दिया गया, लेकिन मार्च एवं अप्रेल में जांच करने के बाद इनका भुगतान बंद कर दिया गया। तब से अभी तक शहर की पानी की सप्लाई की जांच भगवान भरोसे ही चल रही है। अधिकारियों ने बताया कि नए सत्र में अमृत मित्र महिलाओं के लिए फंड निर्धारित नहीं होने के कारण उनके भुगतान का संकट बना और जांच भी बंद करनी पड़ी।
शहर के कई हिस्सों में मटमैला पानी सप्लाई हो रहा है। गुलाबरा क्षेत्र के रितिक शुल्का एवं कार्तिक सराठे का कहना है कि वार्ड में कई घरों में मटमैला पानी आ रहा है। कुछ घरों में पीने के पानी के लिए कैन खरीद रहे हैं। वहीं वार्ड 3 के एक रहवासी का कहना है कि उनके क्षेत्र में भी नल जल से मटमैला पानी आ रहा है।
इनका कहना है
क्लोरीन की जांच पहले की तरह निगम कर्मी कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर अमृत मित्र महिलाओं से जांच पुन: करवाने की व्यवस्था की जाएगी।- रोहित सूर्यवंशी, पेयजल प्रभारी नगर निगम
Published on:
31 Jul 2025 10:35 am