भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में से साढ़े बारहवें ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाने वाला अद्र्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मोहगांव हवेली में स्थित है। हिन्दी एवं महाराष्ट्रीयन पंचांग के अनुसार यहां डेढ़ माह का सावन मास मनाया जाता है। वर्तमान में यह छिंदवाड़ा शहर से 70 किलोमीटर दूर स्थिति मोहगांव में है, जो कि पांढुर्ना जिले के सौंसर तहसील के अंतर्गत है।
मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित होने से हिन्दी पंचांग अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन, 10 जुलाई से यहां सावन मास प्रारंभ हो गया है, जो कि महाराष्ट्रीयन पंचांग अनुसार सावन अमावस्या 23 अगस्त तक चलेगा। शिवलिंग का आधा भाग काले और आधा भाग हल्का लाल रंग का है, इसलिए यह भगवान शिव का साढ़े बारहवां अद्र्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग माना जाता है। प्रतिवर्ष ऋषि पंचमी को यहां मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र से हजारों की संख्या में महिलाएं आकर यहां सर्पिणी नदी में स्नान कर पूजा अर्चना करती हैं। इस वर्ष ऋषि पंचमी 28 अगस्त को हैं।
इस मंदिर के चारों दिशाओं में बारह ज्योतिर्लिंगों के बारह द्वार तथा चार धामों चार द्वार प्रतीकात्मक रूप से बने हैं। बताया जाता है कि पूरे मंदिर का निर्माण महामृत्युंजय यंत्र पर आधारित बना होने के कारण ही यहां सूर्य भगवान अपनी किरणों से अभिषेक करते हैं। यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य सहित कई ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी है।
सर्प जैसी आकार में बहने वाली सर्पिणी नदी के तट पर स्थित इस स्वयंभू अद्र्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग की अनेक मान्यताएं शिव भक्तों में प्रचलित हैं। जनश्रुति है कि विवाह योग्य कन्याएं यहां सावन सोमवार को आकर ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाएं तो उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। इस अद्र्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक साल में दो बार स्वयं सूर्य भगवान अपनी किरणों से करते हैं।
Published on:
04 Aug 2025 10:34 am