
कैमरे की निगरानी में यातायात नियम तोड़ते वाहन चालक
कभी शहर के मुख्य चौराहों पर लगे कैमरों की डिजिटल नजर से डरकर नियमों का पालन करने वाले चालक अब फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आए हैं। आकाशवाणी चौराहे पर लगे हाईटेक कैमरे फिलहाल सर्वर मेंटनेंस के कारण बंद हैं। इसी के साथ शहर में यातायात अनुशासन भी मानो छुट्टी पर चला गया है। हेलमेट से लेकर सीट बेल्ट तक हर नियम का उल्लंघन खुलेआम सडक़ों पर देखा जा सकता है।
पिछले वर्ष तक छतरपुर में कैमरे की मदद से यातायात नियम तोडऩे वालों पर 57 लाख रुपए से अधिक के चालान काटे गए थे। लेकिन अब जबकि सर्वर की मरम्मत चल रही है, चालान की प्रक्रिया अस्थायी रूप से रुकी हुई है। इसका असर सडक़ों पर साफ नजर आ रहा है। वाहन चालक ट्रैफिक कर्मचारियों की नजर बचाकर बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट, मोबाइल पर बात करते हुए, तेज गति से और उल्टी दिशा में वाहन चला रहे हैं।
आकाशवाणी तिराहा जैसे व्यस्त इलाकों में जहां पहले कैमरे की निगरानी में चालक संभलकर चलते थे, वहीं अब स्थिति बिल्कुल उलट है। दोपहिया वाहनों पर तीन-तीन सवारियां, चारपहिया वाहनों में सीट बेल्ट का न होना, सिग्नल तोडऩा, नो-पार्किंग में वाहन खड़े करना और मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना आम बात हो गई है। ट्रैफिक पुलिस ने कई जगहों पर मैनुअल जांच शुरू की है, लेकिन कैमरे की लगातार निगरानी न होने से लोगों में भय खत्म हो गया है। यातायात विभाग के अनुसार, ऑनलाइन चालान सर्वर से जुड़े हैं, और जब तक सर्वर सक्रिय नहीं होता, स्वचालित कार्रवाई संभव नहीं है।
छतरपुर जिला सडक़ दुर्घटनाओं के मामले में प्रदेश के खतरनाक जिलों में गिना जाने लगा है। आंकड़े बताते हैं कि हर साल लगभग 700 सडक़ हादसे होते हैं, जिनमें 250 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है और 600 से ज्यादा लोग घायल होकर अस्पताल पहुंचते हैं। अधिकांश हादसे यातायात नियमों की अनदेखी का नतीजा हैं। दुर्घटनाओं के दौरान अधिकांश बाइक सवार बिना हेलमेट पाए गए, जबकि कई कार चालक सीट बेल्ट लगाए बिना ड्राइव करते हुए दुर्घटना का शिकार हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि लोग मूल नियमों जैसे हेलमेट पहनना, गति सीमा का पालन करना और मोबाइल से दूरी बनाना को गंभीरता से लें, तो सैकड़ों जानें बचाई जा सकती हैं।
तीन साल में कुल सडक़ हादसे - 1499
तीन साल में मौतें - 601
छतरपुर में यह स्थिति बताती है कि नियमों के पालन के लिए जागरूकता से ज्यादा जरूरी है जवाबदेही की व्यवस्था। जैसे ही कैमरे की निगरानी रुकी, वैसा ही शहर ने अनुशासन छोड़ दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवहार केवल सर्वर बहाली का नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी का भी प्रश्न है।
यातायात प्रभारी बृहस्पति साकेत ने बताया कि सर्वर मेंटनेंस के कारण कैमरे से चालान की प्रक्रिया अस्थायी रूप से बंद है। सभी कैमरे चालू हालत में हैं, केवल सर्वर रीस्टोर होने के बाद भोपाल से ऑनलाइन चालान प्रक्रिया दोबारा शुरू होगी। इस बीच विभाग जागरूकता अभियान और मैनुअल कार्रवाई दोनों जारी रखे हुए है। लोगों से अपील है कि जुर्माने के डर से नहीं, बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए नियमों का पालन करें।
Published on:
01 Nov 2025 10:37 am
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