5 अगस्त 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

सरकारी सहायता को किसानों ने कहा ‘ना’, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता प्रदेश, संभाग में सबसे आगे छतरपुर

हाल ही में जो तस्वीर सामने आई है, वह बेहद चौंकाने वाली और सकारात्मक रूप से प्रेरणादायक है। मुरैना, छतरपुर और बालाघाट जैसे जिलों में सैकड़ों किसानों ने इस योजना का लाभ लेने से इनकार कर दिया है।

bhu abhilekh
भू अभिलेख शाखा कलेक्ट्रेट

देशभर में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है। इन योजनाओं के तहत पात्र किसानों को साल में तीन किश्तों में कुल 12 हजार रुपए की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक खातों में दी जाती है। इसका उद्देश्य किसानों की आय में स्थिरता लाना, छोटे और सीमांत किसानों को समर्थन देना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है।

प्रदेश सहित संभाग में सामने आया तथ्य

लेकिन हाल ही में जो तस्वीर सामने आई है, वह बेहद चौंकाने वाली और सकारात्मक रूप से प्रेरणादायक है। मुरैना, छतरपुर और बालाघाट जैसे जिलों में सैकड़ों किसानों ने इस योजना का लाभ लेने से इनकार कर दिया है। इन किसानों ने स्वेच्छा से सरकार को यह सूचित किया है कि वे अब इस योजना के तहत मिलने वाली धनराशि नहीं लेना चाहते। ऐसे किसान पूरे सागर संभाग में हैं। जिन्होंने सहायता राशि स्वेच्छा से त्याग दी।

सामाजिक बदलाव का प्रतीक

इस कदम को सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय न मानते हुए व्यापक सामाजिक बदलाव का प्रतीक कहा जा सकता है। यह दर्शाता है कि अब किसान केवल सरकारी योजनाओं पर आश्रित नहीं रहना चाहते, बल्कि आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढऩा चाहते हैं। साथ ही यह उदाहरण यह भी दर्शाता है कि मध्यप्रदेश के किसान अब अपने अधिकार और कर्तव्यों को लेकर अधिक जागरूक हो गए हैं।

सागर संभाग की स्थिति

सागर संभाग में किसानों द्वारा स्वेच्छा से योजना छोडऩे के आंकड़े सरकार और समाज दोनों के लिए चिंतन का विषय हैं और साथ ही प्रेरणा का कारण भी। सागर संभाग के पांच जिलों से प्राप्त आंकड़े इस प्रकार हैं...

जिला किसान

छतरपुर- 361 किसान

सागर- 314 किसान

टीकमगढ़- 210 किसान

दमोह- 207 किसान

पन्ना- 182 किसान

छतरपुर में सबसे ज्यादा बदलाव

सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि छतरपुर जिला इस मामले में अग्रणी रहा है, जहां कुल 2.48 लाख पंजीकृत किसानों में से 361 किसानों ने सरकार को स्वेच्छा से सूचित कर योजना से बाहर होने का निर्णय लिया है। यह संख्या देखने में भले ही कुल किसानों की तुलना में कम लगे, लेकिन यह एक ऐसे मानसिक और सामाजिक परिवर्तन की ओर इशारा करती है, जो आने वाले समय में बड़ी संख्या में किसानों को प्रेरित कर सकता है।

एक और बदलाव आया सामने, डिजीटल पहचान बना रहे

इस बदले हुए नजरिए के पीछे एक और बड़ा कारण तकनीक और पारदर्शिता भी है। हाल ही में मध्यप्रदेश में यूनिक फार्मर आईडी का अभियान चलाया गया है, जिसके तहत हर किसान की एक डिजिटल पहचान बनाई जा रही है। यह आईडी आधार कार्ड, भू-अभिलेख, बैंक खाता और अन्य दस्तावेजों से लिंक होगी। इससे फसल बीमा, ऋण, बीज व उर्वरक सब्सिडी तथा सरकारी योजनाओं के लाभ लेने की प्रक्रिया बेहद सरल और पारदर्शी बन जाएगी। छतरपुर जिले में अब तक लगभग 90 प्रतिशत किसानों की यूनिक फार्मर आईडी तैयार हो चुकी है। शेष प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इस आईडी प्रणाली से किसानों को बार-बार दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी और फर्जीवाड़े की संभावना भी न्यूनतम हो जाएगी।

इनका कहना है

फार्मर आईडी सत्यापन का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। इस तकनीकी पहल से किसान खुद को अधिक सुरक्षित, जागरूक और आत्मनिर्भर महसूस कर रहे हैं। यही कारण है कि अब किसान योजनाओं से जुडऩे से पहले सोच-समझकर निर्णय ले रहे हैं।

आदित्य सोनकिया, एसएलआर