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त्योहारों के नजदीक आते ही शुरू हो गई मावा-घी-पनीर की आवक, ऐन वक्त पर सैंपलिंग से कुछ हाथ नहीं आएगा

इस बार भी त्योहार के पहले सैंपलिंग नहीं हो रही है। ऐन वक्त पर सैंपलिंग कर भी ली जाएगी तो रिपोर्ट आने तक सारा मावा खप जाएगा।

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बीते वर्ष पकड़ा गया नकली मावा की फाइल फोटो

त्योहारों की दस्तक के साथ छतरपुर जिले में मावा, सिंथेटिक दूध, मिलावटी घी और पनीर के कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली है। मिलावट करने वाले भी अब सक्रिय हो गए हैं। प्रशासन की ओर से औपचारिक जांच और सैंपलिंग की कवायद तो होती है, लेकिन असल कार्रवाई रिपोर्ट आने के बाद होती है, जब तक कि नकली माल बाजार में खप चुका होता है और नुकसान हो चुका होता है। इस बार भी त्योहार के पहले सैंपलिंग नहीं हो रही है। ऐन वक्त पर सैंपलिंग कर भी ली जाएगी तो रिपोर्ट आने तक सारा मावा खप जाएगा।

बीते वर्षों में पकड़ी गई नकली मावा की बड़ी खेपें

त्योहारों के दौरान छतरपुर में मिलावटी कारोबार कोई नया नहीं है। पिछले दो वर्षों में प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाइयों ने इस गंभीर स्थिति की पुष्टि की है। 2024 में नौगांव शहर के एक नामी व्यापारी के ठिकाने पर खाद्य विभाग ने छापा मारकर लगभग 6 लाख रुपए मूल्य का नकली मावा जब्त किया था। यह मावा त्योहार से ठीक पहले बाजार में सप्लाई के लिए तैयार किया गया था।2025 (जून) छतरपुर होते हुए धौलपुर से उदयपुर भेजा जा रहा करीब 420 किलो नकली मावा रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया। प्रारंभिक जांच में यह मावा स्थानीय दुकानों में भी खपाने की योजना का हिस्सा पाया गया। इन दोनों घटनाओं ने साफ कर दिया है कि नकली मावा का रैकेट सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि अंतरराज्यीय स्तर पर सक्रिय है, और प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह कारोबार लगातार पनप रहा है।

कैसे तैयार होता है यह ज़हरीला स्वाद?

नकली मावा बनाने के लिए दूध पाउडर में वेजिटेबल ऑयल, आलू, शकरकंदी और रसायन मिलाए जाते हैं। कई बार तो डिटर्जेंट पाउडर, यूरिया, तरल जैल और मोबिल ऑयल से सिंथेटिक दूध तैयार कर उसमें थोड़ा-सा असली दूध मिलाकर नकली मावा बनाया जाता है। इसी मावे से पनीर और मिठाइयां बनाई जाती हैं।

आप खुद ऐसे करें पहचान

रंग ज्यादा सफेद या हल्का पीला हो तो सतर्क हो जाएं.असली मावा की खुशबू प्राकृतिक होती है, नकली की अजीबरगडऩे पर असली मावा घी छोड़ता हैनकली मावा पानी में आसानी से नहीं घुलतास्वाद में कड़वाहट या अजीब स्वाद मिल सकता है

इन बीमारियों का खतरा

मिलावटी खाद्य पदार्थों से उल्टी, दस्त, पेट दर्द, गले का संक्रमण, फूड पॉइज़निंग जैसी बीमारियां आम हो जाती हैं। लंबे समय तक इनके सेवन से लिवर, किडनी और पाचन तंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के अंतर्गत अब आम लोग पोशन पोर्टल पर गोपनीय रूप से मिलावटी खाद्य उत्पादों की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह सुविधा आम उपभोक्ताओं को अधिकार देती है कि वे नकली कारोबारियों को बेनकाब करें।

इनका कहना है

खुली मिठाइयों से परहेज करें। मिलावट की आशंका होने पर सेवन न करें। तबियत बिगडऩे पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

डॉ. एचपी अग्रवाल, मेडिसिन विशेषज्ञ