RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) (RBI Monetary Policy Meeting) की द्विमासिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) को स्थिर रखने का फैसला किया है। आज शुक्रवार के दिन रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा गया है। यह लगातार 11वीं बार है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई है, जो 14 दिसंबर और 28 दिसंबर से लागू होगी।
रेपो रेट (Repo Rate) वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। इस बार जानकारों की पहले से ही उम्मीद थी कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके पीछे मुख्य कारण है महंगाई दर को नियंत्रित करना। फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5% पर स्थिर है। RBI ने महंगाई और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए इसे अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। गवर्नर दास ने कहा, महंगाई के खिलाफ हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। नीतिगत दरों को स्थिर रखने का यह निर्णय इसी दिशा में एक कदम है।
रेपो रेट (Repo Rate) स्थिर रहने का मतलब है कि कर्ज लेने वालों को ब्याज दरों में कोई राहत नहीं मिलेगी। यदि रेपो रेट में कमी की जाती, तो बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटाते और घर, वाहन या अन्य प्रकार के कर्ज सस्ते हो जाते। लेकिन अब महंगे कर्ज का दौर जारी रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च ब्याज दरें उपभोक्ताओं के खर्च को सीमित कर सकती हैं, जिससे अर्थव्यवस्था की गति पर प्रभाव पड़ सकता है।
बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% करने का निर्णय लिया गया है। इसे 25-25 बेसिस पॉइंट्स की दो कटौतियों में लागू किया जाएगा। पहली कटौती 14 दिसंबर से लागू होगी। दूसरी कटौती 28 दिसंबर से प्रभावी होगी।
CRR में कटौती से बैंकों के पास अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी, जिसे वे ऋण देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे बाजार में तरलता बढ़ेगी, लेकिन इसका सीधा लाभ ग्राहकों को कब और कितना मिलेगा, यह बैंकिंग नीतियों पर निर्भर करता है।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) वह इकाई है जो देश की मौद्रिक नीतियों पर निर्णय लेती है। इसका नेतृत्व RBI गवर्नर करते हैं। वर्तमान बैठक, गवर्नर शक्तिकांत दास के मौजूदा कार्यकाल की आखिरी MPC बैठक थी। उनका कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। गवर्नर दास ने अपने कार्यकाल में देश की मौद्रिक स्थिरता बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में RBI ने नीतिगत दरों को नियंत्रित करके महंगाई और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखा।
रेपो रेट में कोई बदलाव न होने की घोषणा का सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ा। शुक्रवार को सेंसेक्स 167.32 अंकों की गिरावट के साथ 81,598.54 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 57.45 अंकों की गिरावट के साथ 24,650.95 पर बंद हुआ। सुबह बाजार ने हरे निशान पर शुरुआत की थी, लेकिन MPC के फैसले के बाद इसमें गिरावट आई। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि रेपो रेट में बदलाव की उम्मीद कम थी, लेकिन सीआरआर में कटौती के बावजूद निवेशकों का विश्वास डगमगाया।
RBI के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि केंद्रीय बैंक महंगाई पर नियंत्रण को अपनी प्राथमिकता मानता है। हालांकि, उद्योग जगत और कर्जदाताओं को उम्मीद थी कि रेपो रेट में कमी कर आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। गवर्नर दास ने कहा, हमने अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का गहराई से विश्लेषण किया है। हमारा ध्यान दीर्घकालिक स्थिरता पर है।
रेपो रेट स्थिर रहने के फैसले के बाद, आम आदमी को अपने वित्तीय निर्णय सावधानीपूर्वक लेने चाहिए।
ऋण लेने से बचें: उच्च ब्याज दरों के चलते कर्ज महंगा रहेगा।
निवेश पर ध्यान दें: फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य बचत योजनाओं पर आकर्षक ब्याज दरें उपलब्ध हैं।
बजट प्लानिंग करें: महंगाई को ध्यान में रखते हुए अपने खर्चों की योजना बनाएं।
Published on:
06 Dec 2024 11:32 am