Prepayment Vs Investment: लोन में प्रीपेमेंट यानी समय से पहले लोन का कुछ हिस्सा या पूरा लोन चुका देना। जब लोगों के पास कहीं से मोटा पैसा आ जाता है या अच्छी-खासी बचत हो जाती है, तो वे उस पैसे से लोन का प्रीपेमेंट कर देते हैं। हालांकि, लोन का प्रीपेमेंट करने पर बैंक कुछ पेनल्टी चार्ज करते हैं। प्रीपेमेंट से ग्राहकों का लंबी अवधि में ब्याज में जाने वाला कुछ पैसा बच जाता है। लेकिन क्या यह सही तरीका है। क्या अपनी सेविंग्स को लोन के प्रीपेमेंट में लगाना सही फाइनेंशियल डिसीजन है? आइए जानते हैं कि एक्सपर्ट क्या कहते हैं।
बेसिक होम लोन के को-फाउंडर और सीईओ अतुल मोंगा का कहना है कि अपनी सेविंग्स को लोन के प्रीपेमेंट में डालने से पहले आपको संभावित इन्वेस्टमेंट रिटर्न और लोन पर ब्याज की तुलना कर लेनी चाहिए। अगर आपको इन्वेस्टमेंट से होने वाली कमाई लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज से कम है, तो लोन का प्रीपेमेंट अधिक समझदारी भरा कदम है।
मोंगा ने कहा, 'हालांकि, भारत में होम लोन आमतौर पर कम ब्याज दर पर मिल जाता है। साथ ही इसमें लंबी अवधि होती है, जो लिक्विडिटी को सपोर्ट करती है। इसके अलावा होम लोन में सेक्शन 24(b) और 80(c) के तहत टैक्स बेनिफिट्स भी मिलते हैं। दूसरी तरफ अच्छी तरह डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो से लॉन्ग टर्म में बड़ा फंड तैयार किया जा सकता है। यहां आपको चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा मिलता है। साथ ही कई निवेश विकल्पों में टैक्स छूट भी मिलती है।'
अतुल मोंगा के अनुसार, अगर आप जवान हैं, तो इन्वेस्टमेंट के साथ जाना एक स्मार्ट च्वाइस होगी। आप अपने होम लोन को टैक्स बेनिफिट्स के लिए भी यूज कर सकते हैं। अगर आप रिटायरमेंट के करीब हैं और फाइनेंशियल बर्डन को कम करने के लिए अपने लोन क्लीयर करना चाहते हैं, तो प्रीपेमेंट को चुन सकते हैं। मोंगा के अनुसार, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप अपनी लोन रेट, इन्वेस्टमेंट डिसिप्लिन और फ्यूचर गोल्स के आधार पर सही फाइनेंशियल स्ट्रैटेजी चुनें।
Updated on:
11 Aug 2025 09:23 am
Published on:
10 Aug 2025 10:00 am