
फेड रेट कट के बावजूद बाजार में गिरावट दिखी है। (PC: ANI)
US Fed Rate Cut: अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को बेंचमार्क ब्याज दर को 0.25 फीसदी घटाकर 3.75% से 4% के दायरे में कर दिया है। बाजार को इसकी उम्मीद भी थी। यह इस साल अमेरिकी फेड द्वारा की गई लगातार दूसरी ब्याज दर में कटौती है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जोखिम के संतुलन, आर्थिक दृष्टिकोण और आने वाले आंकड़ों पर ध्यान केंद्रित करेगा, ताकि भविष्य की ब्याज दरों की दिशा तय की जा सके।
हालांकि, फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया कि अगली मौद्रिक नीति बैठक में रेट कट की संभावना कम है। उन्होंने कहा कि बाजार में दिसंबर 2025 में संभावित रेट कट की जो भविष्यवाणी की जा रही है, वह पक्की बात नहीं है और हकीकत इससे बहुत अलग है।
फेड पॉलिसी के बाद बुधवार को अमेरिकी शेयर बाजार मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए। डाउ जोन्स और एसएंडपी 500 सूचकांक गिरावट में रहे, जबकि टेक्नोलॉजी शेयरों में बढ़त के कारण नैस्डैक सूचकांक में तेजी आई। वहीं, गुरुवार को एशियाई बाजार भी ज्यादातर गिरावट में कारोबार कर रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को गिरावट देखी जा रही है।
शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 355 अंक की गिरावट के साथ 84,635 पर ट्रेड करता दिखा। वहीं, एनएसई निफ्टी 122 अंक गिरकर 25,930 पर ट्रेड करता दिखा। एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार में बीते सेशंस में आई तेजी रेट कट की उम्मीदों का ही नतीजा था। अब मुनाफावसूली देखी जा रही है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका में मौद्रिक नीति में ढील से भारत जैसे उभरते बाजारों में विदेशी निवेश (FII inflow) बढ़ सकता है।
शेयर मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार, फेड का रेट कट लंबी अवधि के लिए सकारात्मक है, भले ही इसका शुरुआती असर पहले से ही बाजार में देखा जा चुका है। लेकिन अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में कमी से अमेरिकी बॉन्ड्स की अपील घटेगी और कुछ विदेशी निवेश भारत जैसे उभरते बाजारों में आएगा। उन्होंने कहा कि रेट कट के तुरंत बाद भारतीय बाजार में कोई बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि इसका असर पहले ही बाजार पर आ चुका है।
मेहता इक्विटीज के रिसर्च एनालिस्ट और एसवीपी प्रशांत टैप्से ने कहा कि अगर अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड घटती है, तो वैश्विक निवेशकों के लिए उधारी की लागत कम हो जाएगी, जिससे उभरते बाजारों में ‘रिस्क-ऑन’ फ्लो को बढ़ावा मिलेगा।
आईटीआई ग्रोथ ऑपर्च्युनिटीज फंड के सीआईओ मोहित गुलाटी ने कहा, 'फेड का यह रेट कट वैश्विक मौद्रिक नीति में औपचारिक बदलाव का संकेत है, जिसके लिए बाजार लंबे समय से उम्मीद कर रहे थे। भारत के लिए इसका मतलब एफपीआई (FPI) प्रवाह में इजाफा और खास तौर पर फाइनेंशियल और कंजंप्शन शेयरों में लिक्विडिटी में सुधार हो सकता है। हालांकि, निवेशकों को अत्यधिक उत्साहित नहीं होना चाहिए। रेट कट से तुरंत ग्रोथ या अर्निंग्स नहीं सुधरतीं।'
Published on:
30 Oct 2025 10:53 am
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