Home Insurance: हाल ही में आपने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से हुए नुकसान की वीडियोज देखी होंगी। पानी के साथ बहकर आए मलबा बड़े-बड़े मकानों को भी अपने साथ बहाकर ले गया। इस हादसे में बड़ी संख्या में प्रोपर्टीज का नुकसान हुआ है। प्राकृतिक आपदाएं तो कुछ घंटो में आकर चली जाती हैं, लेकिन उनके द्वारा छोड़े गए निशान वर्षों तक बने रहते हैं। ये आपदाएं किसी भी व्यक्ति की वित्तीय स्थिति को सालों पीछे धकेल देती हैं। लेकिन अगर आपके पास इंश्योरेंस कवरेज है, तो आप वित्तीय संकट में फंसने से बच सकते हैं।
कई लोग सोचते हैं कि घर के लिए इंश्योरेंस लेना एक अतिरिक्त खर्च है और इसके बजाय वे फर्नीचर, सजावटी सामानों या उपकरणों पर अधिक पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन जब भूकंप या बाढ़ जैसी कोई आपदा आती है, तब पता चलता है कि इंश्योरेंस वास्तव में कितना महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक आपदाओं से हमें पता चलता है कि जितना अपने घरों को सजाना महत्वपूर्ण है, उतना ही अपने घरों की सुरक्षा करना भी महत्वपूर्ण है। नुकसान के बाद, इंश्योरेंस के बिना बिल्डिंग को दोबारा बनवाना बहुत कठिन और बहुत महंगा साबित हो सकता है। होम इंश्योरेंस आपको अपने घर की मरम्मत करने या फिर से बनाने के लिए वित्तीय मदद देता है। यह आपको सिर्फ इंश्योरेंस कवरेज ही नहीं देता, बल्कि यह आपको किसी भी अनहोनी के डर से दूर भी रखता है।
हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि आपदा कब और कैसे आएगी, लेकिन होम इंश्योरेंस खरीदना ऐसी घटनाओं से उत्पन्न वित्तीय बोझ को कम करने का एक स्मार्ट तरीका है। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रॉपर्टी अंडरराइटिंग हेड गुरदीप सिंह बत्रा बताते हैं, "होम इंश्योरेंस पॉलिसी न केवल आपके घर को आकस्मिक आग से बचाती है, बल्कि यह भूकंप, बाढ़, चक्रवात, बिजली और जंगल की आग से होने वाले नुकसान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ दंगों, दुर्भावनापूर्ण नुकसान को भी कवर करती है। यह फर्नीचर और उपकरणों, घर के अंदर कीमती वस्तुओं की चोरी, सेंधमारी से भी सुरक्षा प्रदान करती है।"
बत्रा के अनुसार, सभी पॉलिसीज में प्राकृतिक आपदाओं के लिए ऑटोमैटिक रूप से कवरेज शामिल नहीं होता है, इसलिए किसी पॉलिसी को चुनने से पहले फाइन प्रिंट को पढ़ना जरूरी है। पॉलिसी में अगर प्राकृतिक आपदाओं को शामिल नहीं किया गया है, तो आप अपने इंश्योरेंस प्रोवाइडर से राइडर या पॉलिसी एक्सटेंशन के माध्यम से अतिरिक्त कवरेज जोड़ने को कह सकते हैं।
बत्रा के अनुसार, क्लेम फाइल करने के लिए ग्राहक को घटना के विवरण और अपने पॉलिसी नंबर के साथ तुरंत अपने इंश्योरेंस प्रोवाइडर को सूचित करना चाहिए। इसके बाद कंपनी आपके क्लेम का रिव्यू करेगी और नुकसान की जांच करने के लिए सर्वेक्षक नियुक्त करेगी। बत्रा ने बताया, 'हस्ताक्षरित क्लेम फॉर्म, नुकसान या चोरी की रिपोर्ट, खरीदारी के बिल और मरम्मत का अनुमान जैसे सही दस्तावेज प्रदान करने से आपका क्लेम मजबूत बनता है। चोरी या सेंधमारी के लिए, एफआईआर और पुलिस रिपोर्ट भी जरूरी हैं।'
1 लाख रुपये से ज्यादा के क्लेम के लिए एनईएफटी डिटेल, केवाईसी डॉक्यूमेंट और सहमति फॉर्म जरूरी होता है। सर्वेक्षक जब अपनी रिपोर्ट सबमिट कर देता है, तो इंश्योरेंस प्रोवाइडर इसे प्रोसेस करता है और क्लेम सेटल करता है। आमतौर पर 7-10 दिनों में क्लेम सेटल हो जाता है।
Updated on:
11 Aug 2025 09:23 am
Published on:
10 Aug 2025 12:05 pm