भारत के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने मंगलवार को मैन्यूफैक्चरर्स को बड़ी राहत दी है। विभाग ने मैन्यूफैक्चरर्स को बिना बिके स्टॉक पर MRP को संशोधित करने की अनुमति दी है। जीएसटी रेट में बदलाव के बीच कंपनियों के लिए यह एक बड़ी राहत है। मैन्यूफैक्चरर्स, पैकर्स और आयातकों को जीएसटी दरों में संशोधन से पहले निर्मित या आयात किए गए बिना बिके स्टॉक पर संशोधित खुदरा बिक्री मूल्य (MRP) की घोषणा करनी होगी। 9 सितंबर, 2025 को घोषित इस निर्णय का उद्देश्य जीएसटी दरों में हाल के बदलावों को समायोजित करना है।
सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि संशोधित MRP को स्टैंप लगाकर, स्टिकर लगाकर या ऑनलाइन प्रिंट करके घोषित किया जा सकता है। शर्त यह है कि प्रोडक्ट की मूल MRP भी दिखाई दे और संशोधित प्राइस उसे ओवरराइट न करे। सरकार के अनुसार, मूल और संशोधित कीमतों के बीच का अंतर टैक्स की वृद्धि या कमी से अधिक नहीं होना चाहिए।
विभाग ने कहा, "निर्माताओं, पैकर्स और आयातकों को कम से कम दो समाचार पत्रों में विज्ञापन देना होगा। साथ ही डीलर्स, केंद्र सरकार/राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में कानूनी माप-तोल नियंत्रकों को नोटिस भेजकर मूल्य में बदलाव की जानकारी देनी होगी।"
यह अनुमति 31 दिसंबर, 2025 तक या स्टॉक खत्म होने तक (जो भी पहले हो) मान्य है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि जीएसटी संशोधन से पहले इस्तेमाल न किए गए पैकेजिंग सामग्री या रैपर का उपयोग 31 दिसंबर, 2025 तक या सामग्री खत्म होने तक किया जा सकता है, बशर्ते MRP में आवश्यक सुधार कर दिए जाएं।
इससे पहले डिस्ट्रीब्यूटर्स एफएमसीजी कंपनियों से यह स्पष्टीकरण मांग रहे थे कि वे नए जीएसटी स्लैब लागू होने से पहले बिना बिके स्टॉक को कैसे संभालेंगे। कंपनियों ने कहा कि इस बदलाव के लिए अधिक समय चाहिए, क्योंकि गोदामों और खुदरा दुकानों में पहले से मौजूद उत्पादों की कीमत मौजूदा जीएसटी ढांचे के तहत है, जिसे वापस लिया जाना है। उन्होंने कहा कि इससे कीमतों में दोहरी इन्वेंट्री की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर कंपनियों ने आगामी त्योहारी सीजन से पहले सामान्य से अधिक स्टॉक जमा कर लिया था।
Published on:
09 Sept 2025 05:12 pm