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जयकारों के साथ निकाली घासभैरू की सवारी

देवउठनी एकादशी पर रविवार रात को कस्बे में निकाली घासभैरू की सवारी को देखने के लिए मार्ग पर लोग उमड़े पड़े। मकानों की छतें, चबूतरियां व आम रास्ता दर्शकों से अटे रहे।

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बूंदी

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pankaj joshi

Nov 04, 2025

जयकारों के साथ निकाली घासभैरू की सवारी

नैनवां. सवारी में घासभैरू की सिंघाड़े पर रखी प्रतिमा को खींचते श्रद्धालु।

नैनवां. देवउठनी एकादशी पर रविवार रात को कस्बे में निकाली घासभैरू की सवारी को देखने के लिए मार्ग पर लोग उमड़े पड़े। मकानों की छतें, चबूतरियां व आम रास्ता दर्शकों से अटे रहे। युवकों व किशोरों की टोलियां में घासभैरू के जयकारों के बीच विशालकाय प्रतिमा को खींचने का जुनून सवार रहा।

नैनवां में देवउठनी एकादशी पर घासभैरू की सवारी निकालने की परम्परा है। सवारी पूरे कस्बे में घूमती है जिसमें घासभैरू की विशालकाय प्रतिमा को युवक ही खींचते हुए चलते है। रात साढ़े सात बजे शहर के लोगों ने थानक पर पहुंचकर प्रतिमा की सामूहिक पूजा अर्चना की। प्रतिमा को लकड़ी के बने सिंघाड़े पर रखा। सिंधाड़े को रस्सो से खींचना शुरू किया। सवारी में प्रतिमा को खींचने वालों पर लोग पटाखे चलाते रहे। जैसे ही कोई पटाखा भीड़ के बीच चलता तो लोगों में भगदड़ सी मच जाती। रास्ते में जगह-जगह पर श्रद्धालु प्रतिमा पर तेल, श्रीफल का भोग चढाते रहे तो दीपकों से आरती भी की जाती रही।

सवारी घासभैरू चौक से रवाना होकर दपोला, चार हाटडिय़ा, पटवा पाड़ा पहुंची। जहां से सवारी अम्बेडकर सर्किल पर पहुंची तो यहा पर भी भैरू बाबा की सामूहिक पूजा हुई। यहां से सवारी खानपोल, होली खूंट, राजघाट होती हुई मारवाड़ा मोहल्ले से गुजरती हुई रात ग्याहर बजे वापस टोडापोल स्थित घासभैरू के थानक पर पहुंची। सवारी के विसर्जन पर प्रसाद वितरण किया। सवारी के दौरान कानून व्यवस्था पर निगरानी रखने के लिए थानाधिकारी कमलेश शर्मा व पुलिस जाप्ता साथ चल रहा था।

देई. कस्बे मे रविवार रात्रि को देवउठनी एकादशी के अवसर पर देव उठाये गए और बाबा घास भैरू की सवारी निकाली। महिलाओं ने लीप पोतकर मांडणा बनाकर विधिविधान के साथ देव उठाए। इस अवसर पर नई सब्जीमंडी, मीणा मोहल्ला घाणा मोहल्ला में बाबा घास भैरू की सवारी निकाली गई।

जिसमें युवाओं ने बाबा घास भैरू की प्रतिमाओं का पूजन कर सवारी को प्रारम्भ किया। बैलों को जोतकर युवाओं ने जोश के साथ जूड़ी दबाई। इस दौरान पटाखे चलने व बैलों के मारने से सवारी में रोमांचक नजारे बने। लोगों ने कामी चढाई व भोग लगाकर गीत गाकर बाबा घास भैरू की मनुहार की। कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी देवउठनी एकादशी मनाई गई।