
हाईकोर्ट (photo-patrika)
CG High Court: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा के गायनी वार्ड में एक ही बेड पर दो प्रसूताओं को रखे जाने के मामले में हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा कि स्थिति बेहद खराब है, सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। कोर्ट ने 6 नवंबर तक एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को शपथ पत्र पर जवाब देने कहा है।
उल्लेखनीय है कि अंबेडकर अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं पर हाईकोर्ट ने लगातार स्वत: संज्ञान लेकर अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग से पहले भी जवाब-तलब किया है। 150 बिस्तर वाले इस वार्ड में बेड फुल होने के कारण वार्ड नंबर 5 और 6 में एक-एक बेड पर दो-दो प्रसूताओं को रखने की जानकारी कोर्ट के संज्ञान में आई।
बच्चों को साथ लिए प्रसूताओं ने बेड के एक-एक हिस्से को सिरहाना बनाया है। इसे लेकर मरीजों के परिजनों ने खासी नाराजगी जताई, लेकिन बेड नहीं होने के कारण उन्हें आखिरकार शांत होना पड़ा। दरअसल, अस्पताल में औसतन हर घंटे एक डिलिवरी होती है।
इससे पहले भी स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। इसमें पहला मामला अस्पताल परिसर और पार्किंग में मरीज के परिजनों के रहने का था। एक अन्य मामला अस्पताल में सर्जरी में हो रही देरी को लेकर था। इसमें 28 मई को स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया अंबेडकर अस्पताल पहुंचे थे। अंबेडकर अस्पताल में एचआईवी पॉजिटिव मां के नाम का पोस्टर शिशु के पास चिपकाने को लेकर भी हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई थी। कोर्ट के आदेश पर अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को 2 लाख रुपए मुआवजा दिया।
इस घटना ने न केवल स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जनता अब यह सवाल उठा रही है कि जब राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का यह हाल है तो ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में मरीजों का क्या हाल होगा?
Published on:
31 Oct 2025 02:12 pm
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