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खतरे की घंटीः सोशल मीडिया के हेल्थ वीडियो बन न जाएं नीम-हकीम खतरे जान

मैनकीज सर्वेज की रिपोर्ट में हर 10 में से 3 मरीज डॉक्टर से पहले ले रहे हेल्थ वीडियोज से ट्रीटमेंट

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बरुण सखाजी. बिलासपुर

यूट्यूब, सोशल मीडिया पर चल रहा मेडिकल का अधकचरा ज्ञान हेल्थ के लिए चुनौती बनता जा रहा है। यहां पर नित नए वीडियो के जरिए बांटे जाने वाले हेल्थ टिप्स कई गंभीर मरीजों के लिए खतरा भी बन रहे हैं। हाल ही में मेडिकल कंसलटेशन और हैबिट्स पर एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक डॉक्टर सोशल मीडिया पर चल रहे हेल्थ वीडियो को जागरूकता के रूप में तो सही मानते हैं, लेकिन इनके हिसाब से इलाज घातक हो सकता है।

हर 10 में 3 मरीज कथित जानकार

सर्वे एजेंसी मैनकीज के मुताबिक डॉक्टर जब मरीज को कुछ प्रिसक्राइब करते हैं तो मरीज उन्हें उसके बारे में बताता है। ऐसे मामलों की भी कमी नहीं जिनमें लोग डॉक्टर की सलाह के अलावा भी इन वीडियोज में मिल रही सलाह को भरोसेमंद मान रहे हैं। रिपोर्ट में हर 10 में से 3 मरीज ऐसे हैं जो डॉक्टर की सलाह की बजाए इन हेल्थ टिप्स को अपना रहे हैं।

हो सकते हैं गंभीर परिणाम

सोशल मीडिया पर वीडियो बनाने वाले सभी डॉक्टर नहीं होते। यहां वैकल्पिक चिकित्सा पद्धितियों के जानकार भी अपने वीडियो बनाते हैं। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष व हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. अजय सहाय के मुताबिक सामान्य नजला जुकाम हो या बड़ी बीमारियां, बिना चिकित्सक की सलाह के कुछ भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि यहां हमें कुछ बीमारियों में तो मदद मिल जाती है, लेकिन यह कई बार बड़ी बीमारी का बीज भी बन जाता है। इस तरह की अपने मन से किए जाने वाले इलाज घातक हो सकते हैं।

क्रेडिबल डॉक्टर्स भी बनाते हैं, लेकिन...

इन वीडियोज में वास्तविक डॉक्टर्स भी वीडियो पोस्ट करते हैं, लेकिन कई बार हम उन्हें जानते नहीं हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर कोई एमडी, एमबीबीएस होने का दावा करता हो और वह डिग्रीधारी न हो तो यह टिप्स घातक हैं। वहीं अगर कोई डिग्रीधारी है भी तो भी इलाज अलग-अलग शरीरों के हिसाब से ही होता है। डॉ. अजय तावड़कर बताते हैं कि इस तरह के केस हमारे पास भी आते हैं। साधारण सलाहें मानने में कोई बुराई नहीं, लेकिन अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही इन्हें अपनाएं। किसी भी पैथी में डॉक्टर बनने के लिए कम से कम 5 वर्ष तो लगते ही हैं, ऐसे में 2 मिनट के वीडियो से प्राप्त कंटेंट आपके लिए सही हो यह संदिग्ध है।

फैसला अपने डॉक्टर पर छोड़ें

पूर्व आईएमए अध्यक्ष व किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. अविजित रायजादा के मुताबिक इसके दोनों ही पक्ष हैं। सोशल मीडिया या यूट्यूब से पेशेंट जानकारी तो जरूर ले, लेकिन निर्णय अपने डॉक्टर को लेने दे। हर व्यक्ति की अपनी तासीर होती है। उसी के हिसाब से दवाएं, इलाज तय किया जाता है। ऐसे में यह घातक हो सकता है कि हम कोई वीडियो देखकर अपना इलाज खुद करने लग जाएं। सोशल मीडिया पर हर पैथी का चलता है, ऐसे में कई बार मरीज सुबह कोई पैथी, दोपहर में कोई और शाम को कोई पैथी के हिसाब से इंटैक करते हैं। यह ठीक नहीं।