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ये क्या मजाक है? बिना मान्यता चल रहे नर्सरी स्कूलों पर हाईकोर्ट नाराज, बोले – कमाई कर बड़े लोग मर्सिडीज में घूम रहे…

High Court: बिना मान्यता के प्रदेश में चल रहे नर्सरी स्कूलों के मामले में याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि गली मोहल्ले में स्कूल खोलकर पैसे कमाने वाले मालिक मर्सिडीज गाड़ियों में घूम रहे हैं और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

हाईकोर्ट का आदेश (Photo Patrika)
हाईकोर्ट का आदेश (Photo Patrika)

Bilaspur High Court: बिना मान्यता के प्रदेश में चल रहे नर्सरी स्कूलों के मामले में याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि गली मोहल्ले में स्कूल खोलकर पैसे कमाने वाले मालिक मर्सिडीज गाड़ियों में घूम रहे हैं और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। पान दुकान की तरह बिना मान्यता के नर्सरी स्कूल चल रहे हैं। आप लोग स्कूल वालों को बचाने के लिए कमेटी बनाते हैं और दो दिनों में शपथ पत्र दे देते हैं।

2013 से नर्सरी स्कूलों को मान्यता लेने का प्रावधान है। इसके बाद भी बिना मान्यता के स्कूल चल रहे,यह क्राइम है। इसके लिए बच्चों को 5 लाख रुपए मुआवजा दिया जाना चाहिए। बिना मान्यता वाले स्कूलों पर कार्रवाई करें। बिना मान्यता के स्कूल संचालन को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।

शिक्षा सचिव के छुट्टी में रहने के कारण संयुक्त सचिव शिक्षा ने मंगलवार को शपथ पत्र प्रस्तुत कर बताया कि पांच सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 2013 में लागू किए गए नर्सरी शालाओं के मान्यता लेने वाले अधिनियम को रद्द किए जाने का प्रस्ताव है। इस शपथ पत्र पर चीफ जस्टिस भड़क गए। उन्होंने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जो भी आप लोग बदलाव करेंगे वह बदलाव की तिथि के बाद से लागू होगा, ना कि पहले से।

शिक्षा सचिव से संभल नहीं रहा इसलिए छुट्टी में

मामले में चीफ जस्टिस ने 13 अगस्त को शिक्षा सचिव को नया शपथ पत्र देने के निर्देश दिए। शासन की ओर से जब बताया गया कि शिक्षा सचिव छुट्टी में है तो उन्होंने पूछा कि कब तक शिक्षा सचिव छुट्टी से आ जाएंगे?

कोर्ट की टिप्पणी…

सरकारी वकील ने उन्हें बताया कि 15 दिन की छुट्टी में होने की जानकारी है, सही तिथि उन्हें नहीं पता। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि शिक्षा सचिव तो हमारे डर से 15 दिन क्या, 30 दिन की छुट्टी में चले जाएंगे। वह परेशान हो गए हैं हमसे। क्योंकि उनसे भी बहुत कुछ संभाले नहीं संभल रहा है।

सरकारी वकील ने बताया कि उनकी जगह संयुक्त सचिव शपथ पत्र पेश कर देंगे वह भी आईएएस हैं। जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इतने संवेदनशील मुद्दे को टाला नहीं जा सकता। यदि सचिव छुट्टी से आ जाएं तो उनका शपथ पत्र 13 अगस्त को प्रस्तुत करवाइए अन्यथा जॉइंट सेक्रेटरी का ही पेश करवा दीजिएगा।

क्या मजाक है? बगैर अनुमति चल रहे स्कूल

कोर्ट ने सवाल उठाया कि 2013 से तो नर्सरी स्कूलों के लिए भी मान्यता लेने का प्रावधान था पर स्कूलों ने 12 साल बिना मान्यता के स्कूल कैसे चला लिए? यह क्या मजाक है कि पहले आपने खुद नियम बनाया कि नर्सरी से लेकर ऊपर की कक्षाओं के लिए अनुमति लेने का प्रावधान है और जब कहीं फंस गए तो कह रहे हैं कि नर्सरी के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है।

बता दें कि पिछली सुनवाई में शिक्षा सचिव ने शपथ पत्र में कहा था कि नर्सरी स्कूलों को मान्यता की जरूरत नहीं होती। जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने नियमों को दिखाते हुए बताया था कि सन 2013 से नर्सरी स्कूलों को मान्यता लेने का अधिनियम है। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए शिक्षा सचिव से दूसरा शपथ पत्र मांगा था।

जिन्होंने फ्रॉड किया, उन पर कार्रवाई कर बताएं

जिन्होंने बिना मान्यता के 12 साल स्कूल चलाए, उन्होंने बच्चों और पेरेंट्स के साथ फ्रॉड किया है। उनके खिलाफ कार्रवाई करिए और हमें बताइए। 28 जुलाई 2025 को आपकी रिपोर्ट आई उसके बाद नर्सरी स्कूलों के लिए मान्यता लेने का प्रावधान नहीं होगा यह आप लागू कर सकते हैं पर इससे पहले 2013 से मान्यता लेने का प्रावधान था और बिना मान्यता लिए स्कूल चलाने वालों ने अपराध तो किया है, हम बच्चों के भविष्य के साथ नहीं खेल सकते।

आप बड़े लोगों को बचाने बनाते हैं पॉलिसी

चीफ जस्टिस ने कहा कि 2013 से अनुमति का नियम है जब हमने संज्ञान लिया और सुनवाई शुरू की तब आपको ध्यान आया। 25 जुलाई को कमेटी बनी और दो दिनों में रिपोर्ट भी आ गई, वो भी 2013 की। चीफ जस्टिस ने सरकार की तरफ से खड़े वकील से नाराजगी जताते हुए कहा कि आप लोगों का विजन क्लियर नहीं है आप लोग क्या पॉलिसी बनाते हैं? क्या नोटिफिकेशन होता है, इससे जनता को और राज्य को क्या फायदा होगा? कुछ भी क्लियर नहीं है।

मैं आप लोगों की प्रॉब्लम समझ रहा हूं, जब आपने देखा कि यह बड़े लोग हैं और नियमों के पालन करने पर 12 साल बिना मान्यता के स्कूल चलाने पर इनका स्कूल बंद हो जाएगा, इनको मुआवजा देना होगा, क्रिमिनल केस बनेगा तब आपको लगता है कि इनको बचाना पड़ेगा और आपने कह दिया कि मान्यता की जरूरत नहीं है।