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CG High Court: पत्नी और 8 वर्ष के बेटे की निर्मम हत्या, फरार आरोपी की अपील ख़ारिज, दोहरे आजीवन कारावास की सजा

CG High Court: 8 वर्ष के बेटे की निर्मम हत्या कर फरार आरोपी की अपील खारिज कर हाईकोर्ट ने दोहरे कारावास की सजा बरकरार रखी है। आरोपी दोनों के अंतिम संस्कार में भी उपस्थित नहीं हुआ।

CG High Court: पत्नी और 8 वर्ष के बेटे की निर्मम हत्या, फरार आरोपी की अपील ख़ारिज, दोहरे आजीवन कारावास की सजा
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Photo Patrika)

CG High Court: आर्थिक परेशानी के कारण पत्नी व 8 वर्ष के बेटे की निर्मम हत्या कर फरार आरोपी की अपील खारिज कर हाईकोर्ट ने दोहरे कारावास की सजा बरकरार रखी है। आरोपी दोनों के अंतिम संस्कार में भी उपस्थित नहीं हुआ। इसे हत्या का साक्ष्य मानते हुए कोर्ट ने कहा कि बेटे और पत्नी के अंतिम संस्कार में अनुपस्थित रहने के संबंध में कोई स्पष्टीकरण देने में आरोपी विफल रहा है।

उल्लेखनीय है कि ट्रॉयल कोर्ट ने मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य का बारीकी से मूल्यांकन किया और पाया कि अभियोजन पक्ष ने अभियुक्त के विरुद्ध अपना मामला उचित तरह से साबित कर दिया है। निचले कोर्ट ने दो हत्याओं के मामले में दोषी पाकर धारा 302 के तहत दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

यह है मामला

प्रकरण के मुताबिक शिकायतकर्ता मीरा देवी गुप्ता ने पुलिस स्टेशन महासमुंद में रिपोर्ट दर्ज कराई कि 12 नवंबर 2016 को वह अपनी ड्यूटी पर गई थीं और अपनी बहू अंजू गुप्ता, पोता प्रतीक राज 8 वर्ष तथा बेटे आरोपी संदीप गुप्ता को घर में छोड़ कर गई थीं। दोपहर लगभग ढाई बजे बेटे संदीप ने फोन किया और बताया कि वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रायपुर आ गया है। घर की चाबी छोड़ना भूल गए हैं, इसलिए उसे भी रायपुर आने कहा। मां अपनी बेटी के घर रायपुर पहुंची और बेटे संदीप को फोन लगाया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

जब वह महासमुंद लौटी तो देखा कि दरवाजा बंद है। मकान मालिक की मदद से ताला तोड़ा कर अंदर गई तो पाया कि उसकी बहू अंजू गुप्ता और पोते प्रतीक राज का शव पड़ा था। उनके शरीर में चोट और खून के धब्बे थे और आरोपी वहां नहीं था। जांच के बाद पुलिस ने संदीप गुप्ता के खिलाफ हत्या का जुर्म दर्ज कर गिरफ्तार किया। निचली अदालत ने आरोपी को धारा 302 में सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

आरोपी पति के कपड़ों और जूतों में खून मिला

आरोपी की ओर से बचाव पक्ष ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में महत्वपूर्ण चूक और विरोधाभास हैं। प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, अपराध स्थल से एक पत्र जब्त किया गया था जिसमें आरोपी ने वित्तीय कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए खुद को मृतक अंजू गुप्ता और प्रतीक की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उक्त पत्र को पेश नहीं किया गया। घटना में प्रयुक्त पेचकस और पेंसिल कटर आरोपी से जब्त नहीं किए गए।

जस्टिस रजनी दुबे एवं जस्टिस एके प्रसाद की डीबी ने कहा कि अभियुक्त घर से अपनी अनुपस्थिति के संबंध में कोई भी उचित स्पष्टीकरण देने में विफल रहा है। एफएसएल रिपोर्ट में भी, आरोपी की पूरी पैंट में मानव रक्त पाया गया था और आरोपी के जूतों में भी रक्त पाया गया। इसके बारे में भी आरोपी कुछ नहीं बता सका। हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील खारिज कर निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखा है।