CG Naxal News: मो. इरशाद खान. छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सली दहशत ने बीजापुर जिले को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। यहां नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्र का दायरा सबसे बड़ा था। अब ऐसे इलाकों से दहशत कम हो रही है तो कई नवाचार सामने आ रहे हैं। ऐसी ही एक खास पहल इन इलाकों के शाला त्यागी बच्चों को वापस स्कूल लाने के लिए की गई है। बीजापुर जिला प्रशासन ने वेंडे स्कूल दायकाल अभियान शुरू किया है।
इस अभियान के तहत धुर नक्सल प्रभावित इलाकों के उन बच्चों की तलाश की गई जो स्कूल छोड़ चुके हैं। अभियान में 2200 शिक्षकों और स्वयंसेवकों ने 600 गांवों में डोर टू डोर सर्वे किया और पाया कि जिले के 9650 बच्चे सिर्फ इसलिए स्कूल नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि उनके इलाके में नक्सली दहशत है और इसी वजह से स्कूल नहीं खुल पाए हैं। अब इन बच्चों के लिए इनके गांव में या आसपास 16 नए स्कूल खोले गए हैं। 14 प्राथमिक और 2 माध्यमिक शालाएं शुरू की गई हैं।
यह स्कूल अभी अस्थाई हैं। बारिश के बाद इन्हें पक्का करने की बात कही जा रही है। स्कूल ऐसे इलाकों में खुले हैं जहां कभी स्कूल नहीं थे। एड़समेटा, पेदापाल, तोडक़ा, नेण्ड्रा 16 गांवों में स्कूल खुले हैं। इन गांवों में कभी नक्सलियों की चला करती थी, उनका ही अघोषित राज था। अब हालात बदले तो यहां शिक्ष की अलख जगाने के प्रयास हो रहे हैं।
जिले में शिक्षा की बुनियाद को मजबूत करने के लिए बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा के नेतृत्व में अभियान को अंतिम बच्चे तक पहुंचाया जा रहा है। जिन गांवों में स्कूल शुरू हुए हैं, उनमें सरकारी अमला पहली बार पहुंचा है। बीजापुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में स्कूल खोलना केवल प्रशासनिक नहीं, सामाजिक क्रांति का हिस्सा माना जा रहा है। आने वाले समय में और भी स्कूल खोलने की योजना है ताकि हर बच्चा साक्षर बन सके और विकास की मुख्यधारा से जुड़ सके।
स्थानीय ग्रामीणों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है जो उनके बच्चों को बंदूक नहीं, किताब की राह पर ले जाएगा। प्रशासन की यह कोशिश नक्सलवाद से लडऩे की सबसे मजबूत रणनीति बनती दिख रही है।
Published on:
21 Jul 2025 08:44 am