
फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: पिछले 50 साल में भोपाल की किस जमीन से जुड़े खसरे पर क्या विवाद रहा है इस पर विभाग ने क्या टिप्पणियां की हैं। और इन पर अब तक क्या आदेश जारी किए हैं, इन सभी को ऑनलाइन किया जाएगा। ताकि संबंधित खसरे से जुड़ी खरीद-बिक्री पर भविष्य में कोई विवाद न हो। जिले में इस तरह के करीब एक लाख खसरे हैं। जीआइएस 2.0 में ये आमजन को भी दिख सकेंगे। इससे 60 फीसदी से अधिक मामले निपट सकेंगे।
प्रशासन के पास जमीन संबंधित विवाद के 70 फीसदी मामले खसरों में मालिकाना हक गड़बड़ी के हैं। 2011 में नए खसरा नंबर देने के बाद ये विवाद कई गुना बढ़े हैं। लंबे समय से निजी जमीनें सरकारी दर्ज हो गई, जबकि सरकारी पर कई नाम चढ़ा दिए गए। 2015 में एमपी लैंड रेकॉर्ड पोर्टल को जाहिर किया तो इसमें गलतियां सामने आईं।
अब लोग अपनी पुरानी रजिस्ट्रियां, नामांतरण लेकर तहसील में केस लगाए हुए हैं, इससे उनकी जमीन उनके स्वामित्व में आए। लोग 50 साल का रेकॉर्ड चाहते हैं, लेकिन करीब पंद्रह साल में नए नजूल क्षेत्र में गांव जुड़ने व हल्का नंबर बदलने से रेकॉर्ड नहीं मिल पा रहा है।
जीआइएस 2.0 पर ही अब पूरा काम हो रहा है। जमीन संबंधित सभी जानकारियां आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध हो, हम इस पर ही फोकस कर रहे हैं।- कौशलेंद्र विक्रमसिंह, कलेक्टर
प्रशासन उपलब्ध खसरों को जीआइएस 2.0 पर पहले ही अपलोड कर चुका है। अब विवाद, निर्णय, आदेशों की टिप्णियां भी अपलोड की जा रही हैं। किस कारण से निजी जमीन सरकारी दर्ज हुई और सरकार पर निजी स्वामित्व कैसे ? इससे पता चल जाएगा।
Updated on:
31 Oct 2025 10:46 am
Published on:
31 Oct 2025 10:45 am
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