Gwalior Fort: ग्वालियर किले को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही अफवाहों और विवादों पर आखिरकार विराम लग गया। दरअसल विपक्ष ने सत्र के दौरान प्रश्न पूछा था कि क्या सरकार ग्वालियर जैसे ऐतिहासिक किले को निजी हाथों में सौंपने जा रही है?
सदन में सत्तादल के विधायक डॉ. अभिलाष पांडेय और रमेश प्रसाद खटीक के साथ ही विपक्षी दल के पंकज उपाध्याय ने ग्वालियर किले के संरक्षण का मुद्दा ध्यानाकर्षण के दौरान उठाया था। ऐतिहासिक किले को निजी हाथों में देकर होटल बनाने के तीनों विधायकों के अलग-अलग प्रश्नों के जवाब में संस्कृति-पर्यटन राज्य मंत्री धर्मेंद्रभाव सिंह लोधी ने इन अफवाहों पर विराम लगा दिया।
पर्यटन राज्यमंत्री ने कहा, इस तरह का कोई प्रस्ताव प्रचलन में नहीं है। केवल किले और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए 10 साल का त्रिस्तरीय समझौता हुआ है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार को इस बात पर अडिग रहना चाहिए। मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में बयान जारी किया कि ग्वालियर के किले को निजी हाथों में सौंपने या फिर उसमें निजी होटल बनाने जैसी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है। सरकार केवल उसके संरक्षण और सौंदर्यीकरण, दस्तावेजीकरण पर काम कर रही है न कि किसी भी तरह के निजी स्वामित्व या व्यावसायिक योजना पर।
बता दें कि इससे पहले ये खबर चर्चा में थी कि एयरलाइंस कंपनी और एक सांस्कृतिक संस्था मिलकर ग्वालियर के कुछ हिस्सों का संरक्षण परियोजना के तहत विकसित करेगी। इस खबर के बाद ही सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। यही नहीं सरकार ने ये भी साफ कर दिया कि ऐतिहासिक धरोहरों से कोई समझौता नहीं होगा।
ग्वालियर किले को लेकर राज्य मंत्री लोधी ने बताया कि संस्कृति विभाग, मप्र हेरिटेज डेवलपमेंट ट्रस्ट इंटर ग्लोब एविएशन लिमिटेड और आगा खां कल्चरल सर्विसेज के मध्य 10 वर्ष के लिए एमओयू हुआ है। ये मिलकर विक्रम महल, करण महल, गुजरी महल, जहांगीर महल, जौहरकुंड के संरक्षण, संवर्धन और सौंदर्यीकरण सीएसआर निधि से करेंगे।
Published on:
06 Aug 2025 09:26 am