Lungs Cancer Cases : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोगों को 'लंग्स कैंसर' के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की बात पर गौर करें तो इसमें सबसे हैरानी की बात ये है कि, शहर में लंग्स कैंसर के ऐसे रोगी भी पाए जा रहे हैं, जिन्होंने जीवन में कभी धूम्रपान किया तक नहीं है। मौजूदा समय में शहर में ऐसे लंग्स कैंसर के मरीजों की संख्या कुल लंग्स कैंसर के मरीजों की 25 से 30 प्रतिशत तक है। कई राष्ट्रीय स्तर के अध्ययनों में भी ऐसे तथ्य सामने आ चुके हैं। शहर में वाहनों के धुएं से हो रहा वायु प्रदूषण भी लोगों को फेफड़ों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार बना रहा है।
ऑटोमोबाइल के धुएं से प्रभावित लोगों के फेफड़ों में जगह-जगह काले धब्बे हो जाते हैं। हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, देशभर में बिना धूम्रपान करने वाले लंग्स कैंसर के मरीजों की संख्या 50 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
शहर में स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. लोकेन्द्र दवे का कहना है कि, खास बात ये है कि 30 प्रतिशत लंग्स कैंसर उन्हें भी हो रहा है, जो धूम्रपान करते तक नहीं हैं। ये वाहनों के धूएं से हो रहे वायु प्रदूषण और आस-पास सिगरेट पीने वालों के कारण इस जानलेवा बीमारी के शिकार हो रहे हैं। लंग्स कैंसर अब महिलाओं और बच्चों में भी तेजी से बढ़ रहा है। सिगरेट के धुएं से सिगरेट पीने वाले के पास रहने वाला व्यक्ति भी समान रूप से प्रभावित होता है। इसलिए महिलाओं और बच्चों को सिगरेट पीने वालों से दूर रहना चाहिए।
-तीन सप्ताह से अधिक समय तक होने वाली लगातार खांसी
-बार-बार फेफड़ों का संक्रमण (जैसे निमोनिया)
-सामान्य गतिविधियों में भी सांस फूलना
-बिना कारण वजन घटना और थकान
-खांसी में खून आना (हेमोप्टाइसि)
-सीने, कंधे या पीठ में लगातार दर्द
-आवाज में बदलाव या कर्कशता
विशेषज्ञों के अनुसार, 70 प्रतिशत को फेफड़े का कैंसर धूम्रपान से हो रहा है। खास बात ये है कि, अधिक धूम्रपान करने वाले के साथ रहने वाली महिलाएं और बच्चे भी लंग्स कैंसर के शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों ने बच्चों और महिलाओं को धूम्रपान करने वालों से दूर रहने और सार्वजनिक स्थलों पर सख्ती से धूम्रपान प्रतिबंधित करने के लिए चेताया है।
Published on:
03 Aug 2025 11:01 am