Vidhan Sabha - एमपी में गुरुवार को विधानसभा में श्रम विधेयक पारित हो गया। इसके अंतर्गत हड़ताल या तालाबंदी आदि के लिए मजदूरों को उद्योग प्रबंधन को कम से कम डेढ़ माह पहले सूचित करना होगा। कांग्रेस ने श्रम विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इससे मजदूरों का शोषण बढ़ेगा। पार्टी विधायकों ने खिलाफत जताते हुए सदन से वॉकआउट भी कर दिया। श्रम विधेयक पर चर्चा के दौरान एक अहम मुद्दा उठा। कांग्रेस विधायकों ने इसे ठेका प्रथा को बढ़ावा देने वाला बताते हुए हुए आरोप लगाया कि इससे आउटसोर्स कर्मचारियों का जबर्दस्त शोषण हो रहा है। खास बात यह है कि कांग्रेस ने सदन में आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन सीधे उनके बैंक खातों में डालने की भी मांग की। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि इससे बिचौलिए खत्म होंगे और कर्मचारियों को उनकी मेहनत का उचित प्रतिफल प्राप्त हो सकेगा।
श्रम विधेयक पर चर्चा करते हुए कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि इससे मजदूरों का हड़ताल करने का हक छिन जाएगा। उन्होंने बीजेपी को पूंजीपतियों की सरकार बताते हुए उनके हित में काम करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस के एक अन्य विधायक दिनेश जैन बॉस ने सीधे आउटसोर्स कर्मचारी के खातों में पैसे डालने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि ठेका सिस्टम से आउटसोर्स कर्मचारियों का सर्वाधिक शोषण किया जा रहा है। सरकार द्वारा भेजे जा रहे उनके पैसे बीच में बिचौलिए खा रहे हैं। विधायक दिनेश जैन ने कहा कि कंप्यूटर ऑपरेटर के लिए राज्य सरकार 18 हजार का भुगतान कर रही है लेकिन उन्हें महज 12, 13 हजार रुपए ही मिल रहे हैं।
कांग्रेस विधायक विजय चौरे ने भी आउटसोर्स कर्मचारियों के शोषण की बात कही। उन्होंने कहा कि यह विधेयक ठेका प्रथा को बढ़ावा देने वाला है जिससे अधिक शोषण होगा। विधायक विजय चौरे ने कहा कि सरकार आउटसोर्स के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति कर रही है। इसका ठेकेदार सरकार से कर्मचारी के लिए 15 हजार रुपए लेता है लेकिन उसे महज 5 हजार रुपए देता है।
Updated on:
31 Jul 2025 06:06 pm
Published on:
31 Jul 2025 06:05 pm