bhopal lok sabha constituency: भोपाल शहर के रेत घाट पर हवा में भगवा बैलून लहरा रहा है। धन्यवाद भोपाल। बधाई हो, आलोक शर्मा के पोस्टर्स से सड़कें पट गयी हैं। देर रात तक हर हाथ तक लड्डू पहुंचाने की कवायद चलती रही। बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। यह सब इसलिए क्योंकि, भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा ने भोपाल संसदीय क्षेत्र के 9 लाख 81 हजार 109 मतदाताओं का समर्थन हासिल कर नया इतिहास रच दिया है। दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार अरुण श्रीवास्तव को 4 लाख 79 हजार 610 वोट प्राप्त हुए। इस तरह आलोक ने 5 लाख, 1 हजार 499 वोट से भोपाल में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। कुल 14 लाख 94 हजार 776 मतदाताओं ने वोट डाले थे। इससे पहले 2014 में आलोक संजर ने करीब 3.71 लाख वोट से जीत दर्ज की थी। भोपाल में काफी कोशिशों के बाद भी कांग्रेस पार्टी को 1989 के बाद कभी जीत हासिल नहीं पाई।
चाय और जलेबी के शौकीन हैं आलोक आलोक शर्मा को मिठाई में जलेबी बहुत पसंद हैं। चाय के शौकीन हैं। तो खाने में कढ़ी, आलू-टमाटर की सब्जी और दाल-चावल बड़े चाव से खाते हैं। पार्टी और संगठन के कार्यों में इतने व्यस्त रहते हैं कि कभी घर पर दोपहर का खाना खाने का मौका ही नहीं मिलता। सुबह घर से नाश्ता करके निकलते हैं तो देर रात घर पहुंचते हैं। इतनी व्यस्तता के बावजूद हर दिन अपने दोनों बेटों, पत्नी, मां-बाप और भाईयों से बात जरूर करते हैं। घरपरिवार में राजनीति की चर्चा नहींकरते। मां-बाप आलोक को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते थे। लेकिन बन गए राजनेता। आलोक को कुर्ता पहनने का काफी शौक है। वे पेंट-शर्ट, शूट कभी-कभार ही पहनते हैं।
भोपाल संसदीय क्षेत्र से नवनिर्वाचित भाजपा सांसद आलोक शर्मा भोपाल की पहचान देश की सबसे विकसित राजधानी के रूप में करवाना चाहते हैं। उनका कहना है कि यूनियन कर्बाइड हादसे की वजह से देश-विदेश में भोपाल की पहचान आज भी त्रासदी वाले शहर के रूप में है। ये टैग तभी हटेगा जब यहां विकास होगा। इसलिए विकास कार्य उनकी पहली प्राथमिकता होगी। पेश है आलोक शर्मा से बातचीत के प्रमुख अंश…
सांसद पद की शपथ लेने के बाद पहला काम क्या करेंगे?
यूनियन कार्बाइड का कचरा अगले 9 महीने के अंदर साफ करवाऊंगा। यहां जनता के लिए पार्क और स्मारक बनाऊंगा। न्यायालय और शासन की मंशानुसार योजना बनाकर एजेंसी के जरिए कार्य होगा।
डेवलपमेंट: सीहोर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट और कार्गो बनवाने की योजना है। भोपाल अभी स्मार्ट सिटी , हैरिटेज सिटी, डिजिटल सिटी और मेट्रो सिटी है। अब इसे मंडीदीप और सीहोर को मिलाकर ट्विन सिटी के रूप में डेवलपमेंट करवाऊंगा।
तालाबों संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण की कार्ययोजना तैयार है। बीएचईएल में भी स्टार्टअप हब और गोदरमऊ में महर्षि पतंजलि की समाधि स्थल को विकसित करना प्राथमिकताओं में शामिल होगा।
पूर्व के सांसदों से अलग कैसे होगी कार्यप्रणाली?
मैं भोपाल का स्थानीय निवासी हूं। यहां पार्षद, महापौर रहा हूं। जनता क्या चाहती है कहां दिक्कतें हैं, सब जानता हूं। यहां के मुद्दों को दिल्ली में उठाऊंगा। यहां के विकास का ब्लू प्रिंट तैयार है।
संगठन और स्थानीय राजनीति में तालमेल की कमी कैसे दूर करेंगे?
महापौर रहते मैंने महापौर चौपाल शुरू की थी। अब हर विधानसभा में सांसद प्रतिनिधि होंगे। यहां सांसद चौपाल लगेगी। जनता यहां आकर अपनी बात रखेंगे। इससे संगठन और कार्यकर्ताओं में तालमेल बढ़ेगा।
अपनी जीत के प्रमुख कारण क्या मानते हैं?
एक कार्यकर्ता को टिकट मिलने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में पहले ही दिन से उत्साह था। इसके अलावा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, स्वच्छता आदि पर बतौर पार्षद और महापौर के रूप किए गए कार्य जनता को याद हैं। इसका फायदा मिला। स्थानीय विधायकों और संगठन की मजबूती के साथ पीएम मोदी जी की लोकप्रियता मेरे जीत का आधार बनीं।
शहर
राजधानी का एक आदर्श मॉडल बनाएंगे। देश की सभी राजधानियों का सर्वे करने के बाद भोपाल के विकास की योजना बनाएंगे।
राष्ट्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशानिर्देश और मिली जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से पालन करेंगे। राष्ट्र मंच पर अपने शहर की बात होगी।
पार्टी
भाजपा संगठन को और मजबूत करने के लिए मतदाताओं से बेहतर संवाद कायम करेंगे। सांसद चौपाल के जरिए फीड बैक लेंगे।
आलोक शर्मा का संयुक्त परिवार भोपाल के चौक बाजार में रहता है। 85 वर्षीय पिता गौरीशंकर शर्मा परिवार के मुखिया हैं। अच्छे संगीतकार हैं और अब तक अलग-अलग मुद्दों पर लगभग 22 किताबें लिख चुके हैं। पत्नी डॉली शर्मा गृहणी हैं। साथ में भाई संजय शर्मा का परिवार रहता है। चौक के गुर्जर पूरा मोहल्ले के ही निवासी पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा भी थे। यहीं की मैमूना सुल्ताना 1957 और 1962 में भोपाल सांसद रहीं। यही नहीं 1984 में इसी मोहल्ले के रहने वाले केएन प्रधान भी भोपाल से सांसद चुने गए।
56 वर्षीय आलोक शर्मा ने 14 साल की उम्र से भाजपा के अनुषंगी संगठनों में कार्य करना शुरू कर दिया था। जीवन की पहली सार्वजनिक भूमिका मंडली संयोजक के रूप में निभाई। आगे चलकर भाजयुमो अध्यक्ष बने। वर्ष 1994 में भोपाल नगर निगम में पार्षद चुने गए। वर्ष 2015 से 2020 तक भोपाल के महापौर रहे। भोपाल उत्तर विधान सभा क्षेत्र से वर्ष 2008 एवं 2023 में भाजपा ने विधायक प्रत्याशी बनाया। लेकिन जीत नहीं मिली। अभी प्रदेश भाजपा में उपाध्यक्ष एवं उज्जैन संभाग के प्रभारी हैं। दो बार भोपाल भाजपा जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) के बेहद करीबी माने जाते हैं।
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Updated on:
05 Jun 2024 09:36 am
Published on:
05 Jun 2024 09:03 am